Sunday, July 16, 2017

दुर्गापूजा पर भी दिख रहा है जीएसटी का असर


कोलकाता, 
केंद्र सरकार की ओर से पूजा करने पर जीएसटी नहीं लगाई गई है फिर भी महानगर में इसका असर दिखने लगा है। 
भले ही प्रत्यक्ष तौर पर कोलकाता की दुर्गापूजा पर जीएसटी लागू नहीं हुआ है, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर जीएसटी का प्रभाव दिखाई दे रहा  है। जिससे पूजा की तैयारियों में कुछ हद तक सुस्ती देखी जा रही है। इसके तहत बड़ी पूजाएं तो शामिल हैं ही, शहर की मझली पूजा भी प्रभावित हो रही हैं। 
मालूम हो कि मुहल्ले की दुर्गापूजा भी अब इलाके के लोगों के चंदे पर निर्भरशील नहीं रह गई है। महानगर के बिग बजट की पूजा को विज्ञापनदाताओं से मिलने वाली रकम के सहारे ही चमक-दमक दिखाती हैं। यहीं पर जीएसटी का प्रभाव दिख रहा है। कोलकाता की दुर्गापूजा अब देश-विदेश के लोगों तक पहुंच गई है। इस मौके पर लाखों लोग देवी दर्शन के लिए यहां आते हैं। मौके का फायदा उठाते हुए विज्ञापन एजेंसियां ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए बिग बजट पूजाका चुनाव करती हैं। कई लोग तो दुर्गापूजा के मौके पर ही अपने उत्पाद जारी करते हैं। 
गौरतलब है कि प्रायोजक, बैनर, स्टाल समेत कई तरह के माध्यम से पूजा कमेटियों को रकम मिलती है। भले ही यह एक तरह का चंदा हो, लेकिन इसके माध्यम से उनके उत्पाद को प्रचार मिलता है। इसलिए दुर्गापूजा में खर्च करने वालों को अब आयकर विभाग को इ स बारे में जानकारी प्रदान करनी होगी कि कहां कितना खर्च कर रहे हैं। 
जीएसटी लागू होने के बाद विज्ञापनदाता रकम खर्च करने से पहले सोचविचार में हैं। बताया जाता है कि पूजा कमेटियों के साथ उनका समझौता होने के बाद भी कहीं न कहीं रुपए फंसे हुए हैं। जबकि कई लोग पूजा कमेटी से ही उनका जीएसटी नंबर मांग रहे हैं। 
मालूम हो कि दुर्गापूजा के साथ आर्थिक लाभ-नुकसान का संपर्क नहीं है। घाटे पर चलने वाली संस्था के तौर पर पंजीकृत पूजा कमेटियों को साल में एक बार आय-व्यय का हिसाब देना पड़ता है। हालांकि पूजा कमेटियोंकी ओर से साल भर दुर्गा पूजा करनेके अलावा भी समाजसेवा मूलक काम करने की बात की जाती है। इसलिए 80जी धारा केतहत छूट हासिल करने के लिए उन्हें पैन नंबर की जरुरत है। इतना ही नहीं, दुर्गापूजा को लेकर कई तरह के पुरस्कार चालू हु ए हैं। पुरस्कार के तौर पर मिलने वाली राशि पर कर (टीडीएस)   बैंक काटता है , जिसे वापस लेने के लिए पूजा कमेटियों के रिटर्न भरना पड़ता है। इस बारे में भी पैन चाहिए। जीएसटी लागू होने के बाद टीडीएस कैसे वापस आएगा, इस बारे में भी पूजा कमेटियां अभी संयश में हैं। विज्ञापन कंपनियोंकी ओर से जीएसटी नंबर मांगा जा रहा है, उन्हें क्या जवाब दें? इस बारे में भी कमेटियों के अधिकारी चिंतित हैं। जबकि कई विज्ञापनदाताओं की ओर से भी धीरे चलो की नीति अख्तियार की गई है। इसलिए पूजा की तैयारियों की रफ्तार भी कुछ धीमी हुई है। 
जीएसटी का अप्रत्यक्ष तौर पर मूर्तियां बनाने वाले केंद्र कुम्हारटोली पर भी असर पड़ा है। मूर्तियां बनाने के लिए व्यवहार की जाने वाली सामग्री के साथ ही परिवहन व्यवस्था भी पहले के मुकाबले महंगी हो गई है। जिससे मूर्तियों की कीमत भी बढ़ने लगी है। कुम्हारटोली मृत शिल्पी संस्कृति समिति के संयुक्त सचिव बाबू पाल का कहना है कि मूर्ति के कपड़ों की कीमत में भारी वृद्धि हुई है।  हालांकि खर्च बढ़ने के बाद भी खरीददार मूर्ति की ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार नहीं हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि महानगर की कई पूजा कमेटियों ने खर्च कम करने की कवायद शुरू कर दी है। 

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