Wednesday, July 19, 2017

केंद्र की ओर से अल्पसंख्यक बहुल इलाका विकास मद में कटौती


कोलकाता, 
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट और सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यक बहुल इलाके के बहुमुखी विकास के लिए एमएसडीपी (मल्टी सेक्टरल डेवलपमेंट प्रोग्राम) परियोजना शुरू की थी। आरोप है कि कें द्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मोदी सरकार के आने के बाद केंद्र परियोजना के लिए पर्याप्त रकम प्रदान नहीं कर रहा है। हर साल केंद्र की ओर से परियोजना के बाबत आबंटित की जाने वाली रकम में कटौती की जा रही है। राज्य के अल्पसंख्यक विकास और मदरसा शिक्षा संबंधी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते दो सालों के दौरान ही परियोजना के बारे में उल्लेखनीय तौर पर कटौती कीगई है। 
सूत्रों ने बताया कि उक्त परियोजना के तहत 2015-16 के दौरान केंद्र की ओर से 975 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की जानी थी, लेकिन केंद्र ने महज 219 करोड़ रुपए ही प्रदान किए। हालांकि अल्पसंख्यक संबंधी व मदरसा शिक्षा मामलों  संबंधित विभाग की ओर से 2407 करोड़ रुपए का बजट था। इसके बाद 2016-17 वित्त वर्ष में भी अल्पसंख्यक विकास मामले में राज्य का बजट 2580 करोड़ रुपए था। इसमें केंद्र की ओर से एमएसडीपी के तहत 1055 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की जानी थी। लेकिन बताया जाता है कि आखिर तक कें द्र की ओर से सिर्फ 242 करोड़ रुपए ही मिल सके हैं। सब से उल्लेखनीय आंकड़े इस साल के बताए जाते हैं। मौजूदा 2017-18 वित्त वर्ष के दौरान बंगाल में अल्पसंख्यक विकासमामलों में बजट 2815 करोड़ रुपए तय किया गया है। केंद्र की ओर से इसमें उक्त परियोजना के तहत 844 करोड़ रुपए दिए जाने थे। अल्पसंख्यक विकास व मदरसा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में पिछले हफ्ते तक सिर्फ 35.39 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है। 
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते दो सालों के अनुभव को देखते हुए लगता है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भी आबंटित राशि की पूरी रकम केंद्र की ओर से नहीं मिलेगी। विभाग के सूत्रों का कहना है कि केंद्र की ओर से पर्याप्त रकम प्रदान नहीं किए जाने के कारण अल्पसंख्यक विकास परियोजनाओं का काम मुश्किल में दिख रहा है। 
नेशनल कमिशन फार माइनरिटी एक्ट के सेक्शन 2 (सी) के मुताबिक अल्पसंख्यकों की सूची में मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी संप्रदाय के लोग शामिल हैं। इसलिए विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि केंद्र के सौतेले व्यवहार के कारण सिर्फ मुसलमान ही नहीं, सभी अल्पसंख्यक प्रभावित हो रहे हैं। उक्त परियोजना को कें द्र सरकार की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2008-2009) के तहत मंजूरी मिली थी और यह बारहवीं पंच वर्षीय योजना में शुरू हो सकी। देश भर में 90 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में लोगों को आर्थिक-सामाजिक विकास के लिए केंद्र सरकार ने परियोजना शुरू की थी। इस परियोजना के तहत अल्पसंख्यक इलाकों में शिक्षा का ढांचागत सुधार, दक्षता वृद्धि, स्वास्थ्य केंद्र, शौचालय, पक्के मकान निर्माण, सड़कों और पेय जल जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने जैसे काम करना शामिल है। इसके साथ ही आर्थिक तौर पर स्वनिर्भर करके आमदनी बढ़ाने के लिए परियोजना में कई तरह के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। 
हालांकि राज्य के अल्पसंख्यक विकास व मदरसा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से एमएसडीपी परियोजना के तहत सिर्फ खर्च में ही कटौती नहीं की गई है, नई परियोजनाओं के लिए आबंटित बजट के लिए सिर्फ नन-रेकरिंग (अ-पुनरावृत) खर्च ही प्रदान कर रहा है। वह भी केंद्र मुश्किल से 60 फीसद दे रहा है, बाकी रकम राज्य को देनी पड़ रही है। इतना ही नहीं, परियोजना को आगे लेकर जाने के लिए रेकरिंग खर्च भी राज्य को ही देना पड़ रहा है। 
 

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