Friday, July 14, 2017

जीएसटी से बंगाल का जरी उद्योग तबाही के कगार पर



दुर्गापूजा से पहले हावड़ा जिले में जरी का काम करने वालों को सांस लेने की फुर्सत नहीं रहती थी, लेकिन वह तो पुरानी बात हो गई है। अब जीएसटी के कारण काम करने वालों की हालत खराब है। इसलिए फुर्सत ही फुर्सत में दिन गुजार रहे हैं।
हावड़ा जिले के उलबेड़िया समेत वि•िान्न इलाकों में जरी का काम करने वाले कारीगर और उस्तादों का कहना है किजीएसटी के कारण उनके पेट पर दोहरी लात पड़ी है। जीएसटी का विरोध करते हुए गुजरात के सूरत में कपड़ा हड़ताल चल रही है। इसके कारण यहां कपड़े नहीं लाए जा रहे हैं। इसके साथ ही जरी के काम में व्यवहार होने वाला कच्चा माल •ाी नहीं मिल रहा है। थान पर जरी का नक्शा बनाया जा रहा है। थान से लेकर पूंती, सलमा, बुईनल सारा कुछ सूरत से ही यहां लाया जाता है। वहां कपड़ा उद्योग में पूरी तरह से हड़ताल चल रही है।
दूसरी समस्या यह है कि कारोबार करने वालों को अ•ाी तक जीएसटी नंबर नहीं मिला है। ऐसे में पुराने माल से जरी का जितना काम अ•ाी तक चल रहा था, वह •ाी नहीं बिक रहा है। काम नहीं मिलने  के कारण कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।
मालूम हो कि हावड़ा जिले की ग्रामीण अर्थनीति ज्यादातर जरी उद्योग पर निर्•ार है। सांकराईल, पांचला, उलबेड़िया, आमता, बागनान और उदयनारायणपुर इलाके में घर-घर लोगों की ओर से जरी का काम किया जाता है। कुल मिलाकर करीब पांच लाख लोग जिले में इस कारोबार के सहारे जिंदगी गुजारते हैं। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद पांच लाख लोग •ाविष्य को लेकर सकते में हैं।
आल इंडिया जरी युनियन के अध्यक्ष काजी नवान हुसैन खुद यह कारोबार करते हैं। उनके पास तकरीबन 500 मजदूर काम करते हैं। फिलहाल स•ाी को छुट््टी पर •ोज दिया गया है। उनका कहना है कि कम से कम दुर्गापूजा का मौसम देखते हुए केंद्र सरकार जीएसटी लागू करने के पहले कुछ समय की छूट देनेके बारे में सोच विचार कर सकती थी। इससे जहां लाखों  लोग बेरोजगार हुए हैं, वहीं कारोबार •ाी प्र•ाावित हुआ है।
आल इंडिया जरी शिल्यम कल्याण संगठन के अध्यक्ष मुजीबुर रहमान का •ाी कहना है कि जीएसटी के कारण जरी उद्योग तबाही के कगार पर पहुंच गया है, जिससे लाखों लोगों की पूजा इस साल दुखद रहेगी।
गौरतलब है कि हावड़ा के जरी कारोबारी अपना सामान आम तौर पर मेटियाबुर्ज हाट और कोलकाता के महाजनों के पास अपना सामान बिक्री करते हैं। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद दोनों जगह खरीददारी बंद हो गई है। मेटियाबुर्ज हाट के व्यापारी मनवर हुसैन का कहना है कि मेरी तरह यहां 2500 व्यापारी हैं। देश-विदेश से लोग त्योहारों के मौसम में साड़ी, लहंगा और दूसरे कपड़े खरीदने के लिए आते रहे हैं। अब सामान खरीदनेसे पहले वे लोग हम लोगों से जीएसटी नंबर मांग रहे हैं। अ•ाी हमें जीएसटी नंबर ही नहीं मिला है, इसलिए इतनी जल्दी कैसे नंबर दे सकते हैं? कारोबार करने वालों के पास •ाी जीएसटी नंबर चाहिए। हालात बेहद खराब हैं।
कोलकाता के एक महाजन का कहना है कि विदेश से •ाी लोग यहां खरीददारी करने के लिए आते हैं। उन लोगों ने साफ तौर पर बता दिया है कि अगर महाजन के पास जीएसटी नंबर नहीं होगा, वे सामान नहीं खरीदेंगे। उनका कहना है कि जीएसटी नंबर के लिए आवेदन किया गया है। लेकिन इसमें समय लगेगा, इसलिए इंतजार के सिवा कोई रास्ता नहीं है।

No comments:

Post a Comment