Friday, July 28, 2017

आयोग गठन के बाद भी प्राइवेट अस्पतालों में नहीं बदले हैं हालात






कोलकाता,  
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से प्राइवेट अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों में इलाज में लापरवाही और मरीजों से ज्यादा फीस वसूले जाने के मामलों पर नजर रखने के लिए गठित स्वास्थ्य नियंत्रक  आयोग को हाल में छह नई शिकायतें मिली हैं। पुरानी पांच और नई छह मिलाकर आयोग ने ग्यारह शिकायतों पर सुनवाई की। इस दौरान एक बार फिर शिकायतकर्ताओं ने अपोलो अस्पताल को लेकर शिकायत की। बेहाला के पर्णश्री इलाके की रहने वाली मिता राय (61) ने आरोप लगाया कि छाती में दर्द की शिकायत के कारण तीन अप्रैलको अस्पताल में भर्ती हुई थी, सात अप्रैल को छुट््टी हुई। इस दौरान करीब  44 हजार रुपए का बिल बनाया गया। उनके पति कालीशंकर राय ने आरोप लगाया है कि बगैर किसी कारण बिल में इतने रुपए जोड़े गए हैं। मुकुंदपुर आमरी अस्पताल के खिलाफ बर्दवान जिले की दीपा दास ने शिकायत करते हुए कहा कि उनके पति श्यामलकुमार दास (53) की इलाज में लापरवाहीके कारण मौत हो गई। गिरने के कारण कमर में चोट लग गई थी, इसलिए 21 जनवरी को अस्पताल में भर्ती करवायागया था। इसके बाद 23 जनवरीको आपरेशन हुआ और 27 जनवरी को उनकी मौत हो गई। मृतक की पत्नी दीपा का कहना है कि  अस्पताल की ओर से बताया गया कि हार्ट ब्लाक होने के कारण मौत हुई है। लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है। इसके साथ ही, जिस  न्यूरो सर्जन ने आपरेशन करना था, उनकी बजाए किसी दूसरे डाक्टर ने आपरेशन किया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पैकेज से ज्यादा पैसे लिए गए, इलाज में लापरवाही बरती गई, दुर्व्यवहार भी किया गया। हालांकि दोनों अस्पतालों की ओरसे आरोप  का खंडन किया गया है। सीएमआरआइ अस्पताल के खिलाफ दो शिकायतों की सुनवाई हुई। नदिया जिले के श्क्तिनगरके रहने वाले काशीनाथसाहा (59) को आठ फरवरी को सांस लेने में परेशानी होने केकारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल में 15 फरवरी को उनकी मौत हो गई। इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए उनके बेटे बलराम साहा ने कहा कि एक हफ्ते में अस्पताल में चार लाख 35 हजार रुपए का बिल बनाया गया। पैलान के रहने वाले चिरसुंदर बसु ने अपने भाई प्रणव कुमार बसु को मूत्र जनित समस्या के लिए 25 जुलाई 2016 को अस्पताल में भर्ती किया था। लेकिन 30 जुलाई को अस्पताल में उनकी मौत हो  गई। इस दौरान एक लाख 54 हजार रुपए का बिल बनाया गया। चिरसुंदर काकहना है कि मेरे भाई को पहले से सीओपीडी की समस्या थी। बगैर हमारी मंजूरी के उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया गया। इसके कुछ दिन बाद वेंटीलेशन पर रखा गया। उन्होंने अस्पताल पर इलाज में लापरवाहीका आरोप लगाया है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज में लापरवाही के आरोप से इंकार करते हुए कहा है कि मरीज को बचाने की हर संभवकोशिश की गई थी। इसके साथ ही आरामबाग और रानाघाट के दो प्राइवेट  अस्पतालों के खिलाफ भी आयोग में सुनवाई हुई। आयोग गठित होने, मुआवजा देने का निर्देश दिए जाने के बाद भी अस्पताल की ओर से मुआवजा नहीं देने और पहले की तरह रवैये के जारी रहने की घटनाओं को देखते हुए लगता है कि अभी भी अस्पतालों के हालात में ज्यादा फेरबदल नहीं हुआ है। 
 

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