Friday, July 28, 2017

जेल में मोबाइल फोन बरामद होने से सुरक्षा पर सवालिया निशान






कोलकाता, 
 कोलकाता के अलीपुर सेंट्रल जेल प्रबंधन ने पांच दिनों तक जेल में तलाशी अभियान चलाकर 57 मोबाइल फोन और 1.5 किलो गांजा बरामद किया है। इस तलाशी अभियान के दौरान जेल का ऐसा कोई वार्ड नहीं था जहां से मोबाइल फोन बरामद नहीं हुआ हो। इतनी भारी संख्या में मोबाइल की बरामदगी ने जेल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। हालांकि यह अभियान जेल अधीक्षक सौमिक सरकार, जेलर श्यामल तालुकदार, डिप्टी जेलर सोमनाथ भषचार्जी, हेड वार्डन पंकज रॉय और सुधांशु मुखर्जी के नेतृत्व में चलाया गया है। जेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भूतल पर स्थित वार्ड संख्या 9 से 12 मोबाइल फोन, पहले तल्ले पर 7 नंबर वार्ड से 22 मोबाइल फोन और एक किलो गांजा, इसी तल्ले पर वार्ड नंबर एक से 12 मोबाइल एवं पांच नंबर वार्ड से 9 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।  इसके अलावा एक पेड़ पर सूते से दो मोबाइल फोन बांधकर रखे गये थे। उल्लेखनीय है कि जेल के एक-एक वार्ड में कई कैदियों को रखा जाता है। यहां का 7 नंबर वार्ड सबसे बड़ा है जहां 130 विचाराधीन कैदियों को रखा गया है। इसके अलावा 9 नंबर वार्ड में 122 तथा पहले तल्ले पर एक नंबर वार्ड में 60 विचाराधीन कैदियों को रखा गया है। जेल सूत्रों से बताया गया है कि प्रत्येक वार्ड में करीब 80 से 100 कैदियों को रखा जाता है। ऐसे में यहां इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल फोन बरामद होने से जेल प्रबंधन के माथे पर बल पड़ गया है।  जेल से भारी संख्या में मोबाइल फोन बरामदगी की सफलता जेल प्रबंधन को एक महिला के जरिए मिली है। बताया गया है कि पांच दिनों पहले जेल के बाहर एक महिला फोन पर बात कर रही थी। उस समय ड्यूटी पर सुशील सिंह नाम के एक हेड वार्डन ड्यूटी कर रहे थे। महिला को देखते ही वे पहचान गए थे। इसी जेल में बंद रमजान नस्कर की वह पत्नी थी। उन्हें संदेह हुआ कि शायद वह अपने पति से बात कर रही थी। इसके बाद वे उसके पास जैसे ही पहुंचे, उसने फोन बंद कर बैग में रख लिया। संदेह होने पर वे उसका फोन लेकर जेलर श्यामल तालुकदार के पास पहुंचे। उसके अंतिम कॉल पर फोन लगाकर वे रमजान के वार्ड की ओर बढ़े तो देखा कि वह फोन रमजान के पास ना होकर हतिम नस्कर के पास था। रंगे हाथ मोबाइल के साथ पकड़े गए हातिम से जब पूछताछ की गई तो उसने बताया कि महिला के पति रमजान के पास कोई मोबाइल फोन नहीं था इसीलिए वह हातिम के ही फोन पर फोन कर बात करती थी। इसी घटना के बाद जेल प्रबंधन सतर्क हो गया  और तलाशी अभियान चलाया गया जिसके बाद इतनी भारी संख्या में मोबाइल मिले हैं। जेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर किसी कैदी के पास से मोबाइल फोन मिलता है तो उसे 14 नंबर वार्ड में पनिशमेंट सेल में रखा जाता है। फिलहाल हातिम को भी उसी वार्ड में रखा गया है। इसके अलावा आगे से सतर्कता बरतते हुए जेल प्रबंधन ने निगरानी बढ़ा दी है।

फेसबुक के जरिए माहौल बिगाड़ रही है भाजपा






कोलकाता,
फेसबुक पर यदि सियासत या संप्रदाय संबंधित कोई आपत्तिजनक पोस्ट वायरल होता है तो मान लीजिए की भाजपा रुपए  देकर यह काम करा रही है। यह आरोप वीरभूम जिला तृणमूल अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने लगाए। सिउड़ी के इंडोर स्टेडियम में आयोजित सांप्रदायिक सद्भाव सम्मेलन में जिला अध्यक्ष ने वर्तमान में प्रदेश में चल रहे सियासी गर्माहट को लेकर भाजपा को निशाने पर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा 5-10 लाख रुपए  खर्च कर फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करवा रही है। इससे आपको भी कष्ट होता है और हमें भी तकलीफ होती है। लेकिन यह मालूम होना चाहिए कि यहां राम-रहीम सब एक बराबर हैं। अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश के तहत भ्रामक प्रचार किया जा रहा है, जो आगे चलकर हिंसा का रूप धारण कर रही है। कहा कि सिउड़ी में एक धार्मिक जुलूस में लाठीचार्ज की घटना को केंद्र कर आसनसोल से झूठी तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट की गई थीं। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर कोई फेसबुक पर आपत्तिजनक कुछ पोस्ट करता है,  इस बारे में प्रशासन को बताएं। प्रशासन की ओर से मामले में देरी की जाए, तब मुझे फोन करें। मेरे ब्लाक के अध्यक्ष से संपर्क करें। लेकिन, कानून अपने हाथ में नहीं लें। इस मौके पर मंत्री आशिस बनर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में विकास की आंधी बह रही है, विरोधियों की ओर से उसे रोकने के लिए षडयंत्र रचा गया है। ऐसे लोगों के पैर के नीचे जमीन नहीं है और मां-माटी-मानुष की सरकार के खिलाफ साजिशें कर रहे हैं। 

आयोग गठन के बाद भी प्राइवेट अस्पतालों में नहीं बदले हैं हालात






कोलकाता,  
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से प्राइवेट अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों में इलाज में लापरवाही और मरीजों से ज्यादा फीस वसूले जाने के मामलों पर नजर रखने के लिए गठित स्वास्थ्य नियंत्रक  आयोग को हाल में छह नई शिकायतें मिली हैं। पुरानी पांच और नई छह मिलाकर आयोग ने ग्यारह शिकायतों पर सुनवाई की। इस दौरान एक बार फिर शिकायतकर्ताओं ने अपोलो अस्पताल को लेकर शिकायत की। बेहाला के पर्णश्री इलाके की रहने वाली मिता राय (61) ने आरोप लगाया कि छाती में दर्द की शिकायत के कारण तीन अप्रैलको अस्पताल में भर्ती हुई थी, सात अप्रैल को छुट््टी हुई। इस दौरान करीब  44 हजार रुपए का बिल बनाया गया। उनके पति कालीशंकर राय ने आरोप लगाया है कि बगैर किसी कारण बिल में इतने रुपए जोड़े गए हैं। मुकुंदपुर आमरी अस्पताल के खिलाफ बर्दवान जिले की दीपा दास ने शिकायत करते हुए कहा कि उनके पति श्यामलकुमार दास (53) की इलाज में लापरवाहीके कारण मौत हो गई। गिरने के कारण कमर में चोट लग गई थी, इसलिए 21 जनवरी को अस्पताल में भर्ती करवायागया था। इसके बाद 23 जनवरीको आपरेशन हुआ और 27 जनवरी को उनकी मौत हो गई। मृतक की पत्नी दीपा का कहना है कि  अस्पताल की ओर से बताया गया कि हार्ट ब्लाक होने के कारण मौत हुई है। लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है। इसके साथ ही, जिस  न्यूरो सर्जन ने आपरेशन करना था, उनकी बजाए किसी दूसरे डाक्टर ने आपरेशन किया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पैकेज से ज्यादा पैसे लिए गए, इलाज में लापरवाही बरती गई, दुर्व्यवहार भी किया गया। हालांकि दोनों अस्पतालों की ओरसे आरोप  का खंडन किया गया है। सीएमआरआइ अस्पताल के खिलाफ दो शिकायतों की सुनवाई हुई। नदिया जिले के श्क्तिनगरके रहने वाले काशीनाथसाहा (59) को आठ फरवरी को सांस लेने में परेशानी होने केकारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल में 15 फरवरी को उनकी मौत हो गई। इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए उनके बेटे बलराम साहा ने कहा कि एक हफ्ते में अस्पताल में चार लाख 35 हजार रुपए का बिल बनाया गया। पैलान के रहने वाले चिरसुंदर बसु ने अपने भाई प्रणव कुमार बसु को मूत्र जनित समस्या के लिए 25 जुलाई 2016 को अस्पताल में भर्ती किया था। लेकिन 30 जुलाई को अस्पताल में उनकी मौत हो  गई। इस दौरान एक लाख 54 हजार रुपए का बिल बनाया गया। चिरसुंदर काकहना है कि मेरे भाई को पहले से सीओपीडी की समस्या थी। बगैर हमारी मंजूरी के उसे आईसीयू में भर्ती कर दिया गया। इसके कुछ दिन बाद वेंटीलेशन पर रखा गया। उन्होंने अस्पताल पर इलाज में लापरवाहीका आरोप लगाया है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज में लापरवाही के आरोप से इंकार करते हुए कहा है कि मरीज को बचाने की हर संभवकोशिश की गई थी। इसके साथ ही आरामबाग और रानाघाट के दो प्राइवेट  अस्पतालों के खिलाफ भी आयोग में सुनवाई हुई। आयोग गठित होने, मुआवजा देने का निर्देश दिए जाने के बाद भी अस्पताल की ओर से मुआवजा नहीं देने और पहले की तरह रवैये के जारी रहने की घटनाओं को देखते हुए लगता है कि अभी भी अस्पतालों के हालात में ज्यादा फेरबदल नहीं हुआ है। 
 

Friday, July 21, 2017

तृणमूल कांग्रेस शुरू करेगी भाजपा भारत छोड़ो आंदोलन




 
कोलकाता,  राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस नौ अगस्त से गांव-गांव में 'भाजपा भारत छोड़ो' आंदोलन शुरू करेगी। यह आंदोलन 30 अगस्त तक चलेगा। मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने शुक्रवार को यहां तृणमूल कांग्रेस की ओर से आयोजित सालाना शहीद रैली के दौरान इसका एलान किया। 21 जुलाई, 1993 को पुलिस की गोली से मारे गए 13 युवकों की याद में ममता हर साल इस दिन को शहीद दिवस के तौर पर मनाती रही हैं। ध्यान रहे कि वर्ष 1942 में नौ अगस्त को ही कांग्रेस ने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' के नारे के साथ आंदोलन शुरू किया था। भाषण में पहली बार ममता के निशाने पर भाजपा रही। इससे पहले अपनी इस रैली में वे वाममोर्चा पर हमले करते रही थीं। उन्होंने वाममोर्चा पर भी निशाना साधा। लेकिन हमले के केंद्र में केंद्र की भाजपा सरकार ही रही।
उन्होंने इस मौके पर केंद्र सरकार और भाजपा पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा के खिलाफ 18 विपक्षी राजनीतिक दलों को गठबंधन का भविष्य में और विस्तार किया जाएगा। केंद्र पर राज्य सरकारों को काम नहीं करने देने का आरोप लगाते हुए ममता ने कहा कि हम उसके नौकर नहीं हैं। भाजपा सरकार पर तमाम मोर्चे पर फेल होने का आरोप लगाते हुए ममता ने दावा किया कि अगले लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी केंद्र की सत्ता से हट जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध में कड़वाहट आई है। ममता ने सवाल किया कि आखिर नेपाल, भूटान, और बांग्लादेश के साथ वह (केंद्र सरकार) संबंध और बेहतर क्यों नहीं कर सकती ? इन देशों की सीमाएं बंगाल से सटी हैं। उन्होंने कहा कि भारत से भाजपा का भगाना हमारे लिए एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि हड़बड़ी में जीएसटी लागू करने से व्यापारियों के अलावा आम लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे आर्थिक नुकसान भी होगा।
ममता ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल को वाममोर्चा-मुक्त कर दिया है और अब वह देश को भाजपा-मुक्त करेगी। उन्होेंने बताया कि भाजपा के खिलाफ आंदोलन हर लोकसभा, विधानसभा क्षेत्र, ब्लाक, शहरों और गांवों में शुरू होगा। पार्टी के तमाम नेता, मंत्री, सांसद व विदायक इसमें हिस्सा लेंगे। आंदोलन की शुरूआत और अंत के मौके पर खुद ममता मौजूद रहेंगी। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया कि उनकी पार्टी अगले लोकसभा चुनावों में भाजपा को केंद्र की सत्ता से बेदखल कर देगी। उन्होंने कहा कि बंगाल में इस पार्टी को लोकसभा की एक सीट भी नहीं मिलेगी। उन्होंने तमाम विपक्षी दलों से अगले लोस चुनावों में भाजपा से मुकाबले के लिए एकजुट होने और विपक्षी एका को और मजबूत करने की अपील की। ममता ने भाजपा से लड़ने वाले तमाम दलों और संगठनों को तृणमूल कांग्रेस का समर्थन देने का एलान किया।
 उन्होंने भाजपा पर राज्य में सांप्रदायिक हिंसा को उकसाने का आरोप लगाया। ममता ने कहा कि भाजपा राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के लिए फेसबुक और दूसरे सोशल साइटों का हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने साइबर अपराध को एक गंभीर अपराध करार दिया।
केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ममता ने उस पर राज्य सरकारों के साथ सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हम केंद्र के नौकर नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के खिलाफ आवाज उठाते ही सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पीछे लगा दिया जाता है। लेकिन हम इससे डर कर चुप नहीं बैठेंगे। केंद्र की नीतियों और जनविरोधी फैसलों के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस आंदोलन जारी रखेगी।
21 जुलाई, 1993 की पुलिस फायरिंग का जिक्र करते हुए ममता ने कहा कि उक्त घटना की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित जांच आयोग की रिपोर्ट मिल गई है। उसके आधार पर दो मुख्यमंत्रियों ज्योति बसु और बुद्धदेव भट््चार्य के अलावा बाकी तमाम दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ममता ने एक बार फिर कहा कि शारदा चिटफंड घोटाले और नारदा स्टिंग मामले में तृणमूल कांग्रेस का कोई भी नेता शामिल नहीं है। केंद्र के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से ही राजनीतिक साजिश के तहत इन मामलों में पार्टी के नेताओं को फंसाया जा रहा है।

Wednesday, July 19, 2017

गायब 40 हजार रुपए ब्याज समेत बैंक को लौटाने का निर्देश







कोलकाता,  
एटीएम से रुपए निकालने के दौरान ऐसा तो कभी न कभी हर व्यक्ति के साथ होता है कि एटीएम से रुपए नहीं निकल रहे हैं। इसके बजाए एक पर्ची निकलती है, जिस पर लिखा होता है कि सारी, अनेबल टू प्रोसेस। इसके बाद ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है कि बगैर निकाले उनके खाते से रुपए निकल जाते हैं। कुछ लोगों की ओर से शिकायत करने पर तो कुछ लोगों को वैसे ही रकम डेबिट के बाद क्रेडिट कर दी जाती है। जबकि कुछ लोगों को रकम वापस नहीं मिलती। 
केंद्र के कैबिनेट सेक्रेटिएट के सहायक आयुक्त दीपक चक्रवर्ती के साथ भी वैसी ही एक घटना घटी। दार्जीलिंग के एक एटीएम से 10 हजार रुपए निकालने के लिए गए थे। दो बार कोशिश की , लेकिन रुपए नहीं निकले। हालांकि कुछ ही देर बाद एटीएम से मिनी स्टेटमैंट निकाल कर उन्होंने देखा कि उस समय दोनों बार उनके बैंक खाते से 20-20 हजार रुपए करके 40 हजार रुपए निकाले गए हैं। इस बारे में कई बार बैंक से रकम वापस करनेके लिए गुहार की गई, लेकिन बैंक वालों ने उनका आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद क्रेता सुरक्षा अदालत में उन्होंने मामला दर्ज किया। जिला क्रेता सुरक्षा अदालत के बाद राज्य अदालत की ओर से भी बैंक की दलील खारिज कर दी गई। क्रेता सुरक्षा अदालत के प्रिसाइडिंग सदस्य श्यामल गुप्त की बेंच ने नौ फीसद ब्याज की दर से 40 हजार रुपए लौटाने का निर्देश देते हुए अदालती मामले में खर्च के लिए 10 हजार रुपए और देने  के लिए कहा है। 
सूत्रों ने बताया कि बैंक की ओर से बार-बार ग्राहक पर जिम्मेवारी थोपने की कोशिश की गई और कहा ग या कि ग्राहक ने सही तरीके से ट्रांजेक्शन प्रक्रिया रद्द नहीं की थी, जिससे एटीएम में घुस कर दूसरे किसी ने वह रकम ले ली। लेकिन अदालत की ओरसे पूछा गया कि ग्राहक के बाद किसी दूसरे ने रुपए निकाले हैं, इस बारे में कोई सबूत है तो बताएं। बैंक की ओर से इस बारे में किसी तरह की सीसीटीवी फुटेज नहीं पेश की जा सकी। अदालत ने बैंक की अर्जी खारिज करके हुए कहा कि ग्राहक के पैसे बैंक के पास जमा रहते हैं, ग्राहक के बैंक खाते से रुपए गायब होने की जिम्मेवारी को बैंक नकार नहीं सकता। 
मालूम हो कि यह घटना करीब पांच साल पहले की है। दार्जीलिंग के हाकिमपाड़ा पाकुड़तला के एक एटीएम से दीपक रुपए निकालनेके लिए गए थे। एक ही एटीएम से जब दो बार रुपए नहीं निकले, तब दूसरे एटीएम से 10 हजार रुपए निकाले। लेकिन मिनी पर्ची से पता चला है कि पहले भी दो बार 20-20 हजार रुपए निकाले गए हैं। 
अदालत की ओर से पूछा गया कि एक तय समय तक एटीएम में ट्रांजेक्शन बहाल रहता है। ग्राहक की ओर से दो बार कोशिश कि ए जाने पर नाकाम रहने पर दूसरे व्यक्ति के घुसने तक वह ट्रांजेक्शन प्रक्रिया तब तक कैसे चालू थी? पहली बार रुपए निकालने की कोशिश के बाद भी ग्राहक बैंक में ही थे। तब उनके रहते दूसरे व्यक्ति ने कैसे पैसे निकाल लिए? इतना ही नहीं, 10 हजार रुपए निकालने के बदले 20 हजार रुपए कैसे निकल गए? 
साइबर कानून के विशेषज्ञ राजर्षि राय चौधरी का कहना है कि ग्राहक की ओर से 10 हजार रुपए निकालने के लिए एंट्री दाखिल करने पर 20 हजार रुपए निकलना आश्चर्यजनक है। हालांकि उनकी ट्रांजेक्शन प्रक्रिया को क्लोन करके दूरसे पैसे निकाले जा सकते हैं। यह पुलिस जांच का मामला है। बगैर कार्ड के दो बार 20-20 हजार रुपए कैसे निकाले गए, इस बारे में भी बैंक की ओर से अदालत को संतुष्ट नहीं किया जा सका। इसलिए अदालत ने बैंक को ब्याज और अदालती खर्च समेत रकम लौटाने का निर्देश दिया है। 
हालांकि एटीएम से रुपए निकालने के लिए ग्राहकों को सतर्क रहना चाहिए। एटीएम से रुपए निकालने या रुपए नहीं निकलने पर ग्राहक को कैंसेल बटन दबाना चाहिए। एटीएम के पास से हटनेसे पहले यह अच्छी तरह से देख लें कि मशीन पहले की हालत में है या नहीं। यह भी ध्यान रखें कि एटीएम में कोई अपरिचित व्यक्ति मौजूद नहीं हो। अगर रुपए नहीं निकले, तब  पर्ची संभाल रखें। 

केंद्र की ओर से अल्पसंख्यक बहुल इलाका विकास मद में कटौती


कोलकाता, 
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट और सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यक बहुल इलाके के बहुमुखी विकास के लिए एमएसडीपी (मल्टी सेक्टरल डेवलपमेंट प्रोग्राम) परियोजना शुरू की थी। आरोप है कि कें द्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मोदी सरकार के आने के बाद केंद्र परियोजना के लिए पर्याप्त रकम प्रदान नहीं कर रहा है। हर साल केंद्र की ओर से परियोजना के बाबत आबंटित की जाने वाली रकम में कटौती की जा रही है। राज्य के अल्पसंख्यक विकास और मदरसा शिक्षा संबंधी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते दो सालों के दौरान ही परियोजना के बारे में उल्लेखनीय तौर पर कटौती कीगई है। 
सूत्रों ने बताया कि उक्त परियोजना के तहत 2015-16 के दौरान केंद्र की ओर से 975 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की जानी थी, लेकिन केंद्र ने महज 219 करोड़ रुपए ही प्रदान किए। हालांकि अल्पसंख्यक संबंधी व मदरसा शिक्षा मामलों  संबंधित विभाग की ओर से 2407 करोड़ रुपए का बजट था। इसके बाद 2016-17 वित्त वर्ष में भी अल्पसंख्यक विकास मामले में राज्य का बजट 2580 करोड़ रुपए था। इसमें केंद्र की ओर से एमएसडीपी के तहत 1055 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की जानी थी। लेकिन बताया जाता है कि आखिर तक कें द्र की ओर से सिर्फ 242 करोड़ रुपए ही मिल सके हैं। सब से उल्लेखनीय आंकड़े इस साल के बताए जाते हैं। मौजूदा 2017-18 वित्त वर्ष के दौरान बंगाल में अल्पसंख्यक विकासमामलों में बजट 2815 करोड़ रुपए तय किया गया है। केंद्र की ओर से इसमें उक्त परियोजना के तहत 844 करोड़ रुपए दिए जाने थे। अल्पसंख्यक विकास व मदरसा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में पिछले हफ्ते तक सिर्फ 35.39 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है। 
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते दो सालों के अनुभव को देखते हुए लगता है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भी आबंटित राशि की पूरी रकम केंद्र की ओर से नहीं मिलेगी। विभाग के सूत्रों का कहना है कि केंद्र की ओर से पर्याप्त रकम प्रदान नहीं किए जाने के कारण अल्पसंख्यक विकास परियोजनाओं का काम मुश्किल में दिख रहा है। 
नेशनल कमिशन फार माइनरिटी एक्ट के सेक्शन 2 (सी) के मुताबिक अल्पसंख्यकों की सूची में मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी संप्रदाय के लोग शामिल हैं। इसलिए विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि केंद्र के सौतेले व्यवहार के कारण सिर्फ मुसलमान ही नहीं, सभी अल्पसंख्यक प्रभावित हो रहे हैं। उक्त परियोजना को कें द्र सरकार की ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2008-2009) के तहत मंजूरी मिली थी और यह बारहवीं पंच वर्षीय योजना में शुरू हो सकी। देश भर में 90 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में लोगों को आर्थिक-सामाजिक विकास के लिए केंद्र सरकार ने परियोजना शुरू की थी। इस परियोजना के तहत अल्पसंख्यक इलाकों में शिक्षा का ढांचागत सुधार, दक्षता वृद्धि, स्वास्थ्य केंद्र, शौचालय, पक्के मकान निर्माण, सड़कों और पेय जल जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने जैसे काम करना शामिल है। इसके साथ ही आर्थिक तौर पर स्वनिर्भर करके आमदनी बढ़ाने के लिए परियोजना में कई तरह के प्रशिक्षण दिए जाते हैं। 
हालांकि राज्य के अल्पसंख्यक विकास व मदरसा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से एमएसडीपी परियोजना के तहत सिर्फ खर्च में ही कटौती नहीं की गई है, नई परियोजनाओं के लिए आबंटित बजट के लिए सिर्फ नन-रेकरिंग (अ-पुनरावृत) खर्च ही प्रदान कर रहा है। वह भी केंद्र मुश्किल से 60 फीसद दे रहा है, बाकी रकम राज्य को देनी पड़ रही है। इतना ही नहीं, परियोजना को आगे लेकर जाने के लिए रेकरिंग खर्च भी राज्य को ही देना पड़ रहा है। 
 

Monday, July 17, 2017

This is a vote of protest against injustice and anarchy: Mamata Banerjee on Presidential elections


This is a vote of protest against injustice and anarchy: Mamata Banerjee on Presidential elections
Bengal Chief Minister Mamata Banerjee addresses the press at State Assembly
They (BJP) are trying to sell the country just because they have the numbers. There is injustice, anarchy and lawlessness across the country. They do not pay any heed to the opinion of the people. They may have the numerical strength, but that doesn’t mean they can do anything. There are constitutional norms.
We also have more than two-thirds majority in Bengal. Despite having numerical strength we have never taken any anti-people decisions. Trinamool is always pro-people.
We have supported Meira Kumar in the presidential polls. But we will respect the NDA candidate too if he becomes the President. This vote is our protest against injustice. This is a vote for resistance. We will continue to speak for the people. There are some parties which still support the BJP. It is time for all to come together to fight the BJP in the national interest.
All sections of society are under attack, including the media. Various agencies are being misused. We are the worst sufferers. We are the victims of circumstance. India’s relations with Nepal, Bhutan and Bangladesh have worsened. Bengal shares its borders with these countries. What will happen if China takes control of Sikkim? What will happen to the ‘chicken neck’ region near Siliguri? The Centre’s wrong policies have worsened our relations with our neighbours.
We want cordial relations with Bangladesh. But we have information that Vishwa Hindu Parishad (VHP) burnt effigies of Sheikh Hasina on July 1. Why was it allowed? How is the VHP giving arms training to women and children in the name of Durga Vahini. Parallel governments are being run in the name of gau-rakshaks and vahinis. Where is the RAW, IB, NSA and NIA?
Nearly 400 schools have mushroomed around the Pashupati Gate near Darjeeling where Chinese language is being taught. Who allowed that to happen? Jamaatis – who are also fighting Sheikh Hasina – were allowed to enter through Saatkheera and incite communal violence through videos. People here believe in harmony and we thwarted their efforts. But the question remains, who allowed them to enter?
We have registered our protest against injustice and anarchy. Very few parties, apart from us, have this conviction. Eighteen political parties have come together for these polls; we thank them. To the other parties, I wish to tell you, BJP will not spare you either. This is the right time to form an alliance.
Trinamool will continue to be vocal about Kashmir, the attack on Amarnath yatris, Aadhaar card, violence in the name of gau-raksha and the systemic efforts to break the federal structure. They have pushed the country backwards with demonetisation. Note bandi and GST have become instruments of corruption. How much black money was recovered? The country is yet to know.
They will orchestrate riots and States will have to bear the brunt? This cannot continue. We will keep fighting like tigers. They can keep indulging in the politics of vindictiveness if they wish. We are ready to go to jail. We will not bow down our heads.

Sunday, July 16, 2017

दुर्गापूजा पर भी दिख रहा है जीएसटी का असर


कोलकाता, 
केंद्र सरकार की ओर से पूजा करने पर जीएसटी नहीं लगाई गई है फिर भी महानगर में इसका असर दिखने लगा है। 
भले ही प्रत्यक्ष तौर पर कोलकाता की दुर्गापूजा पर जीएसटी लागू नहीं हुआ है, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर जीएसटी का प्रभाव दिखाई दे रहा  है। जिससे पूजा की तैयारियों में कुछ हद तक सुस्ती देखी जा रही है। इसके तहत बड़ी पूजाएं तो शामिल हैं ही, शहर की मझली पूजा भी प्रभावित हो रही हैं। 
मालूम हो कि मुहल्ले की दुर्गापूजा भी अब इलाके के लोगों के चंदे पर निर्भरशील नहीं रह गई है। महानगर के बिग बजट की पूजा को विज्ञापनदाताओं से मिलने वाली रकम के सहारे ही चमक-दमक दिखाती हैं। यहीं पर जीएसटी का प्रभाव दिख रहा है। कोलकाता की दुर्गापूजा अब देश-विदेश के लोगों तक पहुंच गई है। इस मौके पर लाखों लोग देवी दर्शन के लिए यहां आते हैं। मौके का फायदा उठाते हुए विज्ञापन एजेंसियां ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए बिग बजट पूजाका चुनाव करती हैं। कई लोग तो दुर्गापूजा के मौके पर ही अपने उत्पाद जारी करते हैं। 
गौरतलब है कि प्रायोजक, बैनर, स्टाल समेत कई तरह के माध्यम से पूजा कमेटियों को रकम मिलती है। भले ही यह एक तरह का चंदा हो, लेकिन इसके माध्यम से उनके उत्पाद को प्रचार मिलता है। इसलिए दुर्गापूजा में खर्च करने वालों को अब आयकर विभाग को इ स बारे में जानकारी प्रदान करनी होगी कि कहां कितना खर्च कर रहे हैं। 
जीएसटी लागू होने के बाद विज्ञापनदाता रकम खर्च करने से पहले सोचविचार में हैं। बताया जाता है कि पूजा कमेटियों के साथ उनका समझौता होने के बाद भी कहीं न कहीं रुपए फंसे हुए हैं। जबकि कई लोग पूजा कमेटी से ही उनका जीएसटी नंबर मांग रहे हैं। 
मालूम हो कि दुर्गापूजा के साथ आर्थिक लाभ-नुकसान का संपर्क नहीं है। घाटे पर चलने वाली संस्था के तौर पर पंजीकृत पूजा कमेटियों को साल में एक बार आय-व्यय का हिसाब देना पड़ता है। हालांकि पूजा कमेटियोंकी ओर से साल भर दुर्गा पूजा करनेके अलावा भी समाजसेवा मूलक काम करने की बात की जाती है। इसलिए 80जी धारा केतहत छूट हासिल करने के लिए उन्हें पैन नंबर की जरुरत है। इतना ही नहीं, दुर्गापूजा को लेकर कई तरह के पुरस्कार चालू हु ए हैं। पुरस्कार के तौर पर मिलने वाली राशि पर कर (टीडीएस)   बैंक काटता है , जिसे वापस लेने के लिए पूजा कमेटियों के रिटर्न भरना पड़ता है। इस बारे में भी पैन चाहिए। जीएसटी लागू होने के बाद टीडीएस कैसे वापस आएगा, इस बारे में भी पूजा कमेटियां अभी संयश में हैं। विज्ञापन कंपनियोंकी ओर से जीएसटी नंबर मांगा जा रहा है, उन्हें क्या जवाब दें? इस बारे में भी कमेटियों के अधिकारी चिंतित हैं। जबकि कई विज्ञापनदाताओं की ओर से भी धीरे चलो की नीति अख्तियार की गई है। इसलिए पूजा की तैयारियों की रफ्तार भी कुछ धीमी हुई है। 
जीएसटी का अप्रत्यक्ष तौर पर मूर्तियां बनाने वाले केंद्र कुम्हारटोली पर भी असर पड़ा है। मूर्तियां बनाने के लिए व्यवहार की जाने वाली सामग्री के साथ ही परिवहन व्यवस्था भी पहले के मुकाबले महंगी हो गई है। जिससे मूर्तियों की कीमत भी बढ़ने लगी है। कुम्हारटोली मृत शिल्पी संस्कृति समिति के संयुक्त सचिव बाबू पाल का कहना है कि मूर्ति के कपड़ों की कीमत में भारी वृद्धि हुई है।  हालांकि खर्च बढ़ने के बाद भी खरीददार मूर्ति की ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार नहीं हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि महानगर की कई पूजा कमेटियों ने खर्च कम करने की कवायद शुरू कर दी है। 

गद्दी और मोदी के बीच लोगों के लिए जगह नहीं :अभिषेक

कोलकाता, 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की भाषा में उन्हें कड़ा जवाब देते हुए तृणमूल युवा कांग्रेस के अखिल भारतीय अध्यक्ष व सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि बंगाल में फिरकापरस्तों के लिए जगह नहीं है। हावड़ा जिले के आमता के बेताई फुटबाल मैदान में 21 जुलाई की सभा के प्रचारके मौके पर आयोजित की गई करीब एक लाख लोगों की रैली में उन्होंने कहा कि यहां एक घोष हैं, वे कह रहे हैं कि तुम मुझे गद्दी दो, हम तुम्हें खून से लथपथ बंगाल देंगे। वे मुख्यमंत्री का घर जलाना चाहते हैं। मैं कह रहा हूं कि तृणमूल का एक पार्टी कार्यालय जलाकर दिखाओ। समझा देंगे कि कहने और करने में क्या होता है। 
माकपा-भाजपा के बारे में उन्होंने कहा कि बाप की औलाद हो, तब दार्जीलिंग या गोरखालैंड के बारे में अपने विचार साफ करके बतलाएं। उन्होंने कहा कि हमारे दल में धंधा करने वालों के लिए जगह  नहीं है। हम लोग राज्य में विकास के लिए युवाश्री, कन्याश्री जैसी परियोजनाएं चला रहे हैं। अब माकपा वालों की आंख का आपरेशन करना होगा, जिससे उन्हें विकास दिखाए दे सकेगा। 
उन्होंने कहा कि हमलोगों ने भ्रष्टाचार के लिए सुदीप्त सेन को गिरफ्तार करके जेल में भेजा। जबकि भाजपा ने विजय माल्या को भागने का मौका प्रदान किया। भाजपा ने बंगाल के बंटवारे की योजना बनाई है। बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, लेकिन याद रखें कि गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं। 
राज्य की महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली रूपा गांगुली का नाम लिए बगैर बाल तस्करी में उनके शामिल होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बाल तस्करी के पैसे मिलने बंद हो गए हैं, इसलिए उसे कष्ट हो रहा है। इसके बाद उन्होंने कहा कि ममता के बाद ही कार्यकर्ता हैं दल में कोई बिचौलिया नहीं है। जबकि भाजपा का लक्ष्य एक ओर गद्दी तो दूसरी ओर मोदी है। इसके बीच लोगों की कोई कीमत ही नहीं है। भाजपा जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांट कर बंगाल में विभाजन का प्रयास कर रही है। ऐसे लोगों की बंगाल में कोई जगह नहीं हो सकती। यह गुजरात नहीं बंगाल है। बंगाल को धर्म के नाम पर बांटा नहीं जा सकता है, यह लोग उन्हें एक बार फिर समझा देंगे। 
तृणमूल की ओर से आयोजित सभा में राज्य के सिंचाई मंत्री राजीव बनर्जी, को आपरेटिव विभाग के मंत्री अरूप राय, खेल विभाग के राज्य मंत्री लक्ष्मीरतन शुक्ला, सांसद सुल्तान अहमद भी मौजूद थे। 

21 जुलाई की हिंसा के बारे में तृणमूल ने बताया वृत्त चित्र


21 जुलाई की हिंसा के बारे में  तृणमूल ने बताया वृत्त चित्र 




कोलकाता,
तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु के शासन के दौरान वाममोर्चा के शासनकाल में 21 जुलाई 1993 को पुलिस फायरिंग में युवा कांग्रेस की नेत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राईटर्स अभियान के दौरान 13 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। महानगर की मुख्य सड़कों पर हुई पुलिस फायरिंग के बारे में लोगों को बताने के लिए उत्तर चौबीस परगना जिला युवा तृणमूल कांग्रेस की ओर से वृत्त चित्र बनाया गया है। 
सूत्रों ने बताया कि तृणमूल यूवा कांग्रेस के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी के निर्देश पर वृत्त चित्र बनाया गया है। इस बारे में नैहट््टी के तृणमूल कांग्रेस विधायक पार्थ भैमिक का कहना है कि अभिषेक ने मुझे 21 जुलाई के बारे में वृत्त चित्र बनाने का निर्देश दिया था। युवा तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भले ही उस दिन की हिंसा की जानकारी है, लेकिन उन्होंने घटना को आंखों से नहीं देखा है। इसलिए मौजूदा युवा कार्यकर्ताओं को वाममोर्चा के शासनकाल के दौरान हुई हिंसा और युवा नेत्री ममता बनर्जी के संघर्ष को दिखाने के लिए इस वृत्त चित्र का निर्माण किया गया है। 
बताया जाता है कि मई में वृत्त चित्र बनाने की परियोजना छोटे स्तर पर ही बनाई गई थी। पुलिस फायरिंग में जिले के चार युवकों की मौत हुई थी। दमदम के मुरारी चक्रवर्ती, बरानगर के विश्वनाथ राय, गाईघाटा के रंजीत दास और भाटपाड़ा के कैशव बैरागी के परिवार वालों से बातचीत करके वृत्त चित्र का निर्माण किया गया। मौजूदा सांसद सौगत राय, काकुली घोष दस्तीदार, खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक, विधायक पार्थ भौमिक, विधायक अर्जून सिंह समेत कई स्थानीय नेताओं के मुंह से चश्मदीद गवाह के तौर पर घटना की दास्तान बयान की गई है। चार लोगोंकी मौत के बारे में बनाया गया वृत्त चित्र यू ट्यूब पर अपलोड कर दिया गया है। 
बताया जाता है कि इसके बाद समूची घटना में मरने वालों को लेकर काम शुरू किया गया और यह काम भी लगभग पूरा हो चुका है। सभी 13 मृत युवकों के परिवार वालों से बातचीत करके वृत्त चित्र पूरा कर लिया गया है। इसमें श्यामबाजार के वंदन दास, सोनारपुर के रतन मंडल, विजयगढ़ के कल्याण बनर्जी, कालिकापुर के श्रीकांत शर्मा, हरिदेवपुर के दिलीप दास, कसबा के प्रदीप राय और मेदिनीपुर के अब्दुल खालिक के परिवार वालों से बातचीत शामिल है। इस वृत्त चित्र का निर्देशन पिनाकी लाहा ने किया है। 
सूत्रों का कहना है कि हर साल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 21 जुलाई को महानगर में भव्य सभा करके शहीदों को श्रृद्धांजलि देती हैं। उस दिन लाखों लोगों को कैसे यह वृत्त चित्र दिखाया जा सके, इस बारे में विचार-विमर्श चल रहा है। 

मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बताने वाली मीडिया के दावे की हकीक़त का पर्दाफाश

मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बताने वाली मीडिया के दावे की हकीक़त का पर्दाफाश
July 16, 2017
देश के हर अख़बार और वेबसाइट ने छापा, हर चैनल ने दिखाया कि नरेंद्र मोदी पर भारत की 73% जनता भरोसा करती है। नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता है।
यह ‘खबर’ चूंकि हर जगह छपी और हर चैनल ने दिखाई, जिनमें मोदीभक्त और तथाकथित प्रगतिशील चैनल और साइट भी हैं, तो आपके लिए भी शक करने का कोई कारण नहीं रहा होगा।
हर कोई बोल और दिखा रहा है, तो शक कौन करता है?
अब आइए इस ख़बर का एक्सरे निकालते हैं।
सभी जगह यह ख़बर फ़ोर्ब्स इंडिया पत्रिका के हवाले से छपी है। फ़ोर्ब्स इंडिया पत्रिका की मालिक कंपनी का नाम नेटवर्क 18 है। नेटवर्क 18 का 100% स्वामित्व इंडियन मीडिया ट्रस्ट के पास है। इस ट्रस्ट का 100% स्वामित्व रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के पास है। जो कि आप जानते हैं कि मुकेश अंबानी की कंपनी है, जिनका नरेंद्र मोदी से याराना न मोदी छिपाते हैं, न अंबानी।
बहरहाल फ़ोर्ब्स इंडिया ने यह रिपोर्ट OECD यानी ऑर्गनाइज़ेशन फ़ॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट की 282 पेज की एक रिपोर्ट से उठाई है। रिपोर्ट का नाम है – गवर्नमेंट एट ए ग्लांस 2017.
इस रिपोर्ट के पेज 214 में लिखा गया है कि सरकार पर विश्वास का यह आँकड़ा कहाँ से आया है।
यह आँकड़ा गैलप वर्ल्ड पोल से आया है। इसी रिपोर्ट में लिखा है कि इसके लिए पोल कंपनी हर देश के 1,000 लोगों से बात करती है। य़ह एक देश में अधिकतम 2,000 लोगों से बात करती है। ऐसे देश चीन और रूस हैं।
जहां टेलीफोन उपलब्ध है, वहां यह सर्वे टेलीफोन पर होता है।
इस तरह के पोल में शामिल 1,000 लोग किन शहरो के कौन लोग होंगे यह आप समझ सकते हैं।
तो आप अब समझ गए होंगे कि मोदी को सबसे विश्वसनीय बताने वाली ख़बर कैसे बनी।
From Facer book bhajpa ka asli chehra 

Friday, July 14, 2017

जीएसटी से बंगाल का जरी उद्योग तबाही के कगार पर



दुर्गापूजा से पहले हावड़ा जिले में जरी का काम करने वालों को सांस लेने की फुर्सत नहीं रहती थी, लेकिन वह तो पुरानी बात हो गई है। अब जीएसटी के कारण काम करने वालों की हालत खराब है। इसलिए फुर्सत ही फुर्सत में दिन गुजार रहे हैं।
हावड़ा जिले के उलबेड़िया समेत वि•िान्न इलाकों में जरी का काम करने वाले कारीगर और उस्तादों का कहना है किजीएसटी के कारण उनके पेट पर दोहरी लात पड़ी है। जीएसटी का विरोध करते हुए गुजरात के सूरत में कपड़ा हड़ताल चल रही है। इसके कारण यहां कपड़े नहीं लाए जा रहे हैं। इसके साथ ही जरी के काम में व्यवहार होने वाला कच्चा माल •ाी नहीं मिल रहा है। थान पर जरी का नक्शा बनाया जा रहा है। थान से लेकर पूंती, सलमा, बुईनल सारा कुछ सूरत से ही यहां लाया जाता है। वहां कपड़ा उद्योग में पूरी तरह से हड़ताल चल रही है।
दूसरी समस्या यह है कि कारोबार करने वालों को अ•ाी तक जीएसटी नंबर नहीं मिला है। ऐसे में पुराने माल से जरी का जितना काम अ•ाी तक चल रहा था, वह •ाी नहीं बिक रहा है। काम नहीं मिलने  के कारण कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।
मालूम हो कि हावड़ा जिले की ग्रामीण अर्थनीति ज्यादातर जरी उद्योग पर निर्•ार है। सांकराईल, पांचला, उलबेड़िया, आमता, बागनान और उदयनारायणपुर इलाके में घर-घर लोगों की ओर से जरी का काम किया जाता है। कुल मिलाकर करीब पांच लाख लोग जिले में इस कारोबार के सहारे जिंदगी गुजारते हैं। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद पांच लाख लोग •ाविष्य को लेकर सकते में हैं।
आल इंडिया जरी युनियन के अध्यक्ष काजी नवान हुसैन खुद यह कारोबार करते हैं। उनके पास तकरीबन 500 मजदूर काम करते हैं। फिलहाल स•ाी को छुट््टी पर •ोज दिया गया है। उनका कहना है कि कम से कम दुर्गापूजा का मौसम देखते हुए केंद्र सरकार जीएसटी लागू करने के पहले कुछ समय की छूट देनेके बारे में सोच विचार कर सकती थी। इससे जहां लाखों  लोग बेरोजगार हुए हैं, वहीं कारोबार •ाी प्र•ाावित हुआ है।
आल इंडिया जरी शिल्यम कल्याण संगठन के अध्यक्ष मुजीबुर रहमान का •ाी कहना है कि जीएसटी के कारण जरी उद्योग तबाही के कगार पर पहुंच गया है, जिससे लाखों लोगों की पूजा इस साल दुखद रहेगी।
गौरतलब है कि हावड़ा के जरी कारोबारी अपना सामान आम तौर पर मेटियाबुर्ज हाट और कोलकाता के महाजनों के पास अपना सामान बिक्री करते हैं। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद दोनों जगह खरीददारी बंद हो गई है। मेटियाबुर्ज हाट के व्यापारी मनवर हुसैन का कहना है कि मेरी तरह यहां 2500 व्यापारी हैं। देश-विदेश से लोग त्योहारों के मौसम में साड़ी, लहंगा और दूसरे कपड़े खरीदने के लिए आते रहे हैं। अब सामान खरीदनेसे पहले वे लोग हम लोगों से जीएसटी नंबर मांग रहे हैं। अ•ाी हमें जीएसटी नंबर ही नहीं मिला है, इसलिए इतनी जल्दी कैसे नंबर दे सकते हैं? कारोबार करने वालों के पास •ाी जीएसटी नंबर चाहिए। हालात बेहद खराब हैं।
कोलकाता के एक महाजन का कहना है कि विदेश से •ाी लोग यहां खरीददारी करने के लिए आते हैं। उन लोगों ने साफ तौर पर बता दिया है कि अगर महाजन के पास जीएसटी नंबर नहीं होगा, वे सामान नहीं खरीदेंगे। उनका कहना है कि जीएसटी नंबर के लिए आवेदन किया गया है। लेकिन इसमें समय लगेगा, इसलिए इंतजार के सिवा कोई रास्ता नहीं है।

सोशल मीडिया प्यार-मोहब्बत के बजाए लोगों में घोल रहा है जहर!


दिल्ली में एक भाजपा नेत्री ने गुजरात दंगों की तस्वीर को बसीरहाट से जोड़ कर दिखाया तो बंगाल में एक भाजपा नेता को इसी तरह की खबर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कहीं, भोजपुरी फिल्म के बलात्कार के दृश्य तो कहीं बांग्लादेश की सड़कों पर हो रही हिंसा की तस्वीर को बंगाल पर थोप कर ममता बनर्जी सरकार पर तुष्टीकरण के  अपने आरोप को साबित करने के आरोप में हालांकि भाजपा नेताओं की खासी किरकिरी हो रही है। इसके पहले भी रामनवमी पर सशस्त्र जुलूस निकालने पर राज्य में सांप्रदायिकता फैला कर ध्रुवीकरण की कोशिश को लोगों ने नाकाम कर दिया था। आगामी 13 अगस्त एक निगम और छह नगरपालिकाओं में चुनाव होने वाला है। इसके पहले सोशल मीडिया का दुरूपयोग करते हुए लोगों को भरमाने का काम बसीरहाट से जोर पकड़ चुका है। 
सोशल मीडिया फेसबुक के जरिए सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ना कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की लपटें सोशल मीडिया के जरिए ही जोर पकड़ी थी। बीते साल दुर्गापूजा और मोहर्रम के मौके पर उत्तर चौबीस परगना के हाजीनगर और हावड़ा के धूलागढ़ व खड़गपुर समेत राज्य में दर्जनों जगहों पर कहीं ज्यादा तो कहीं कम सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं घटी थी। राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द को किसी तरह का आघात नहीं लगने देने के उद्देश्य से स्थानीय समाचार पत्र व टीवी ने इस तरह की घटनाओं को प्रकाश में लाने से परहेज किया। स्थानीय परंपरागत मीडिया में अगर थोड़ी बहुत खबरें आई भी तो उसमें संतुलन बना रहा, लेकिन सोशल मीडिया ने सांप्रदायिक हिंसा को फैलाने में आगे में घी का काम किया। 
दुर्गापूजा के समय देखते-देखते दर्जनों क्षेत्र सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में आ गए। एक समुदाय विशेष को घर जलाने से लेकर धार्मिक स्थलों को को नुकसान पहुंचाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई। सांप्रदायिक आग फैलाने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर पोस्ट करनेवालों को इतने से संतोष नहीं हुआ। वे इसका वीडियो दिल्ली में नेशनल मीडिया और बड़े टीवी चैनलों तक भेजने से नहीं चुके। राष्ट्रीय स्तर के कुछ टीवी चैनलों ने बंगाल की सांप्रदायिक हिंसा पर विस्तृत खबरें प्रसारित की। रामनवमी के मौके पर भी बंगाल में कुछ जगहों पर जो सांप्रदायिक तनाव बना, उसमें सोशल मीडिया की भूमिका थी। इस बार सोशल मीडिया पर एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाने वाली पोस्ट डाली गई और देखते-देखते बादुरिया और बशीरहाट के आस-पास के क्षेत्रों में हिंसा भड़क गई। हालांकि पुलिस ने सोशल मीडिया पर इस तरह के आपत्तिजनक पोस्ट करनेवाले युवक सौभिक सरकार को गिरफ्तार कर लिया। गुस्साए लोग अभियुक्त को अपने कब्जे में लेना चाहते थे और इसी को लेकर पुलिस के साथ उनका संघर्ष हुआ। घटनास्थल पर ही पुलिस की 15 गाड़ियां फूंक दी गई। देखते-देखते बादुरया, बशीरहाट, स्वरूपनगर, हाड़ोया, देगंगा, हिंगलगंज और हासनाबाद हिंसा की चपेट में आ गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने बशीरहाट और बनगांव के विस्तृत क्षेत्रों में इंटरनेट और वाईफाइ सेवा बंद कर दिया है।

Tuesday, July 11, 2017

चाइना टाउन : जहां, पसरा है डर का साया








शहर के टेंगरा स्थित चाइना टाउन में इन दिनों डर का साया पसरा हुआ है। भारत और चीन के बीच तनाव ने इस इलाके को भय से भर दिया है। दोनों देशों की सेनाएं भूटान के करीब डोकलाम में आमने-सामने डटी हैं। दो देशों के बीच संबंधों के बिगड़ने का असर सीधे तौर पर कोलकाता के चीनी भारतीय समुदाय में दिख रहा है।
शहर में रहने वाले ज्यादातर चीनी एक सौ साल से कहीं ज्यादा पहले बेहतर अवसरों की तलाश में अपने देश से भागकर यहां आए थे। शुरुआत में वो मध्य कोलकाता के टिरट्््टी बाजार में बसे। बाद में इन लोगों ने टेंगरा को बसाया। साउथ टेंगरा रोड का मतलब है चाइना टाउन। यहां सौ से ज्यादा रेस्तरां हैं। दक्षिण कोलकाता के इस हिस्से में चार हजार से ज्यादा चाइनीज रहते हैं। ये आमतौर पर रेस्तरां, चमड़ा, जूता निर्माण और दंत चिकित्सा व्यवसायों से जुड़े हैं।
पहले और दूसरे अफीम युद्ध फिर चीन-जापान की लड़ाई के बाद चीन में राजनीतिक हालात खराब होने लगे थे। उस दौरान बड़े पैमाने पर चीनी लोगों ने कोलकाता आकर शरण ली। ज्यादातर चीनी म्यांमार से होते हुए यहां पहुंचे। अब तो उन्हें यहां रहते कई पीढियां गुजर रही हैं। विश्व युद्ध के दौरान चीन से आए शख्स ने यहां अपनी पहली टैनरी खोली। चीनी लोग मुख्य तौर पर कैंटन या गुआंगदांग से आकर यहां बसे। वह बढई, चमड़ा और लांड्री का काम करके गुजारा करने वाले लोग थे। उस समय कोलकाता दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के लिए व्यापार के मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। यहां जहाजों में माल आता और जाता था।
चाइनीज रेस्तरां की मालिक कहती हैं कि मैं जब भी सीमा पर तनाव की खबरें सुनती हूं तो डर जाती हूं।  एक अन्य रेस्तरां के मालिक कहते हैं हम पहले भारतीय हैं, हम भारतीय नागरिक हैं, लेकिन दिल से अपनी मातृभूमि को भी प्यार करते हैं।
जब भारत और चीन के बीच सीमा पर ताजा तनाव शुरू हुआ तो कोलकाता का चीनी समुदाय भय से भर उठा। उसे डर है सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति में चीन विरोधी भावनाएं उन पर असर डालेंगी। 1962 के भारत-चीन युद्ध में वो डर के साए में जी चुके हैं। उन्हें ये भी लगता है कि मौजूदा हालत से भारत और चीन के बीच व्यापार प्रभावित होगा और असर उनके टैनरीज पर भी होगा।

बसीरहाट की हिंसा ने टॉकी से पर्यटकों को किया दूर







कोलकाता, 11 जुलाई
उत्तर चौबीस परगना जिले के बसीरहाट शहर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के कारण इच्छामति नदी के किनारे बसे पर्यटकों के प्रिय स्थल टॉकी से लोग दूर ही रह रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि वे जल्द ही वहां नहीं आने वाले हैं।
गौरतलब है कि टॉकी पर्यटन स्थल कोलकाता से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर है। लेकिन वहां जाने वालों को बसीरहाट होते हुए जाना पड़ता है। इच्छामति नदी के किनारे बसे छोटे से शहर टॉकी के पास ही बांग्लादेश की सीमा है। भीषण गर्मी के दिनों को छोड़ कर साल भर टॉकी में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
नदी के किनारे बसे पर्टटन स्थल पर हालांकि हिंसा की छाया नहीं पड़ी, इसका श्रेय दोनों संप्रदाय के स्थानीय लोगों, होटलों के मालिकों और दूसरे लोगों को दिया जा सकता है। जिनके कारण लोग सुरक्षित वहां से निकलने में कामयाब रहे। यहां एक प्रसिद्ध भोजनालय के मालिक विमल चंद्र दे का कहना है कि सामान्य कार्य दिवस में  प्रतिदिन 60-70 ग्राहकों को भोजन खिलाता हूं। कई बार यह संख्या बढ़ कर 100 और छुट््टी के दिनों में 150 तक पहुंच जाती है। लेकिन बीते सारे हफ्ते के दौरान यह संख्या शून्य से लेकर ज्यादा से ज्यादा पांच ग्राहकों की संख्या पार नहीं कर सकी। अगर कुछ महीनों तक यही हालत जारी रही, तब मुझे अपनी दूकान बंद करनी होगी।
इसी तरह, दूसरे  एक गेस्ट हाउस के मालिक तापस चटर्जी का कहना है कि आठ और नौ जुलाई को हमारे सारे कमरे बुक हो चुके थे, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया। यहां अब हालात पूरी तरह से सामान्य हो चुके हैं, लेकिन अभी तक एक भी कमरे की बुकिंग नहीं हुई है। मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि अगर यही स्थिति जारी रहेगी, तब कैसे काम धंधा चलेगा।
टॉकी घाट के नाव वालों की हालत भी दूसरे लोगों से कुछ कम नहीं है। यहां से लोग बांग्लादेश सीमा के नजदीक मचरंगा द्वीप देखने के लिए जाते हैं। यहां के नाविक शुकूर आलम का कहना है कि बादुरिया और आसपास के इलाकों में उपद्रव शुरू होने के बाद 2 जुलाई से ही उनकी आमदनी शून्य हो गई है क्योेंकि कोई पर्यटक इधर आ ही नहीं रहा है।
आलम का कहना है कि बसीरहाट शहर सात जुलाई से सामान्य है। इसके बाद भी पर्यटक टॉकी की ओर रूख नहीं कर रहे हैं। आठ जुलाई को मुझे कोई भी ग्राहक नहीं मिला, जबकि नौ जुलाई को एक परिवार यहां आया था।
गौरतलब है कि यह छोटा सा गांव विजय दशमी के दिन दुर्गापूजा के विसर्जन के लिए प्रसिद्ध है। जब भारत और बांग्लादेश के लोग मूर्तियां विसर्जित करनेके लिए  यहां आते हैं। इस मौके पर दोनों समुदाय के लोग मिठाइयों से एक दूसरे का मुंह मीठा करवाते हैं। नदी के दोनों किनारों पर दोनों देशों के हजारों लोग यह दृश्य देखने और अपने मोबाइल कैमरे में बंद करने के लिए घंटों खड़े रहते हैं।
मौजूदा हालात को देखते हुए यहां कारोबार करने वालों को दुर्गापूजा के मौके पर होेने वाले पर्यटकों की भीड़ को लेकर भी आशंका देखी जा रही है। हालांकि अभी पूजा में दो महीने से भी ज्यादा का समय बाकी है। इसके बाद भी होटल, भोजनालय, नाविक पर्यटकों के इलाके से दूर रहने के कारण चिंतित हैं। 

Monday, July 10, 2017

नानक के बताए रास्ते पर चलकर लोगों की सेवा







कोलकाता, 10 मई
सिख धर्म की नींव गुरू नानक देव जी ने मानव धर्म की सेवा करनेके लिए रखी थी। नाम जपो, वंड छको और किरत करो अर्थात एक अकाल पुरख का सिमरन करो, कमाई का हिस्सा लोगों में बांट कर खुद भोजन करो और मेहनत की कमाई करो। उनके बताए रास्ते पर चलते हुए हावड़ा जिले में एक व्यक्ति लोगों को भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए पानी पिला रहे हैं। बीते पांच साल से हर साल तीन महीने बगैर किसी की आर्थिक या दूसरी मदद के अकेले वे यह काम कर रहे हैं।
सिद्धू आटोमोबाइल के मेघा सिंह सिद्धू ने बताया कि इलाके में गर्मी के दौरान   पेय जल का संकट दिखाई देता है। यहां नेशनल हाइवे नंबर छह के  धुलागढ़ इलाके में आने-जाने वाले लोगों की हालत ऐसी नहीं है कि खरीद कर पानी पी सकें। इसलिए पांच साल पहले मन में यह विचार आया कि प्यासों की प्यास बुझाने के लिए कुछ किया जाए। पहले साल का अनुभव बेहद अच्छा रहा। लोगों ने पानी पीकर आर्शीवाद दिया, तो लगा कि बाबा नानक के बताए रास्ते पर चलकर लोक सेवा का यह एक अच्छा माध्यम है।
उन्होंने बताया कि तब से सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक प्रतिदिन यहां लोगों को पानी पिला रहे हैं। उनका मानना है कि आने वाले सालों में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। 

मिनी यूरोप की झलक दिखती है सदर स्ट्रीट में






कोलकाता, 10 जुलाई
करीबन तीन सौ वर्ष से भी पहले अंग्रेजों ने कलकत्ता शहर की बुनियाद रखी थी, जो आज दुनिया भर में अपने बदले हुए कोलकाता के नाम से परिचित है। इस शहर में देश के सभी राज्य के लोग रहते हैं। सभी धर्म, जाति व वर्ग के लोग दशकों से इस शहर में घुल-मिल कर रहते आ रहे हैं, लेकिन शायद कुछ लोगों को यह जान कर हैरत होगी कि कोलकाता में एक मिनी यूरोप बसता है। शहर का एक ऐसा इलाका, जहां यूरोप के विभिन्न देशों के लोग बड़ी संख्या में नजर आते हैं और इस जगह का नाम है सदर स्ट्रीट।
विदेशी पर्यटकों को भारत की यह सांस्कृतिक राजधानी काफी पसंद है, इसलिए प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी कोलकाता का रुख करते हैं। यूं तो दुनिया के लगभग सभी देश के पर्यटक कोलकाता आते हैं, लेकिन इनमें ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, डेनमार्क समेत यूरोपिय देशों के पर्यटकों की संख्या अधिक होती है। अंग्रेजों को तो यूं भी इस शहर से काफी लगाव है। 1947 में भारत से अपना बोरिया-बिस्तर लपेट लेने के बावजूद उनका खुद द्वारा बसाए गए इस शहर से प्यार कम नहीं हुआ है।
सदर स्ट्रीट का इतिहास ढाई सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है। कहते हैं कि कभी यहां एक सदर अदालत थी, जिसके नाम पर इस इलाके का नाम सदर स्ट्रीट पड़ा। मिर्जा गालिब स्ट्रीट स्थित दमकल केंद्र से लेकर चौरंगी स्ट्रीट स्थित इंडियन म्यूजियम (जादूघर) तक फैले इस छोटे से इलाके में फैले सदर स्ट्रीट में जिधर भी नजर दौड़ाएं, आपको छोटे-छोटे होटल व रेस्तरां ही मिलेंगे, जो पूरी तरह विदेशी पर्यटकों से भरे पड़े रहते हैं।
यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों को सदर स्ट्रीट में उस समय की झलक मिलती है, जब इस देश पर अंग्रेजों की हुकुमत थी, लेकिन सबसे बड़ा आकर्षण जो इन्हें यहां खींच लाता है, वह है यहां के सस्ते होटल व रेस्तरां। इलाके में स्थित कैफे के मालिक राजेंद्र पाल कहते हैं कि यहां होटल के कमरे का किराया और खाना-पीना इतना सस्ता है कि भारत तो छोड़िए दुनिया के किसी भी देश में इतना सस्ता नहीं मिलेगा।
सदर स्ट्रीट के हर कोने में ऐसे कैफे मिल जाएंगे, जो यूरोपीय डिश पेश करते हैं। यहां बड़ी संख्या में ट्रैवल एजंट कई तरह के आॅफर लिए घूमते हुए मिल जाएंगे। कई बीयर बार हैं, जहां विशेष रुप से फैमली सेक्शन बनाया गया है। अब तो यहां कुछ लक्जरी होटल भी बन गए हैं, लेकिन अभी भी यहां छोटे-छोटे होटलों की ही भरमार है, जिन्हें अगर सरायखाना भी कहा जाए तो गलत न होगा।
सदर स्ट्रीट केवल यूरोपियई लोगों का ही पसंदीदा इलाका नहीं है, बल्कि कोरियाई पर्यटकों की भी बड़ी संख्या में यहां दिखाई देती है। चायवाले से लेकर ठेले वाले तक सायानारा कहते हुए उनका स्वागत करते हैं। यहां के चायवालों को ब्रिटिश अंदाज में अंग्रेजी बोलते हुए देख काफी लोग हैरत में पड़ जाते हैं। यहां के ठेले वाले कोरियाई नागरिकों से उन्हीं की भाषा में बात करते हैं। हद तो यह है कि विदेशी पर्यटकों से भीख मांग कर गुजर-बुसर करने वाले छोटे-छोटे बच्चे भी फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हुए दिखाई देते हैं।

जीएसटी से रसोई गैस की सभी सेवाएं हुई महंगी







कोलकाता, 10 मई
जीएसटी लागू होने के बाद रसोई गैस की कीमत बढ़ेगी,यह आशंका पहले ही जाहिर की जा रही थी। इस महीने के शुरू से जीेएसटी चालू होने के बाद देखा जा रहा है कि एक ही झटके में रसोई गैस के सिलेंडर पर 32 रुपए का खर्च बढ़ गया है। लेकिन इतना ही होता तो गनीमत थी। रसोई गैस डीलरों के पास पहुंचे निर्देश के मुताबिक एलपीजी से संबंधित सभी मामले में   जीएसटी लगेगा। रसोई गैस के मामले में यह जहां पांच फीसद है, दूसरे मामलों में यह 18 फीसद है। हाल तक इस बारे में किसी तरह का अतिरिक्तकर नहीं लगता था।
मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में रसोई गैस के सिलेंडर पर चार फीसद वैट लगता था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में जब सत्ता संभाली, दिल्ली में यूपीए की सरकार ने अचानक रसोई गैस की कीमतें बढ़ा दी। राज्य के लोगों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री ने जून 2011 में वैट से छूट देने का एलान किया। तब से रसोई गैस पर वैट नहीं लगता था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने सबसिडी वाले सिलेंडर पर पांच फीसद जीएसटी लागू कर दिया है। बगैर सबसिडी वाले सिलेंडर पर यह लागू नहीं है। जीएसटी सिलेंडर की कीमत पर लगता है, इसके तहत राज्य में सिलेंडर की कीमत में 32 रुपए की वृद्धि हुई है।
दूसरी ओर, रसोई गैस से जुड़ी दूसरी सेवाओं पर 18 फीसद जीएसटी लगाया गया है। इस बारे में सरकारी निर्देश भी पहुंच गया है। बताया जाता है कि गैस में किसीतरहकी समस्या नहीं होने पर भी एक तय समय के भीतर गैस सर्विस करवाना बाध्यतामूलक  हो गया है। ग्राहकों को जीएसटी समेत काम करवाना होगा। हालांकि डीलरों का कहना है लीकेज जैसे आपातकालीन समस्या होने पर जीएसटी नहीं ली जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद रसोई गैस का नया कनेक्शन लेने के लिए 75 रुपए से बढ़कर 89 रुपए, गैस ट्रांसफर के लिए दस्तावेज जमा करवाने की रकम 75 से बढ़कर 89 रुपए, रेगुलेटर खराब होने से संबंधित कागज जमा करने की फीस 75 से बढ़कर 89 रुपए, नए कनेक्शन में खर्च 100 रुपए से बढ़कर 118 रुपए, दूसरे सिलेंडर के लिए 100 रुपए से बढ़कर 118 रुपए, नई ब्लू बुक के लिए 50 रुपए के बजाए 59 रुपए, सिंगल ओवन की मरम्मत के लिए 100 रुपए के बजाए 118 रुपए, दो ओवर वाले चुल्हे की मरम्मत के लिए 150 रुपए के बजाए 177 रुपए का भुगतान करना होगा। 

Sunday, July 9, 2017

कुछ लोग जानबूझ कर, तो कुछ नासमझी में करवा देते हैं दंगा


कुछ लोग जानबूझ कर, तो कुछ नासमझी में करवा देते हैं दंगा




कोलकाता, 9 जुलाई  
फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया साइट पर कुछ लोग तो सोच-समझ कर लोगों को भड़काने, अफवाहें फैलाने की साजिश रचते हैं। जबकि ज्यादातर लोग नासमझी में किसी भी तरह की वीडियो, फोटो देखकर भावनाओं में बहकर तुरंत उस आपत्तिजनक वीडियो, फोटो या संदेश को दूसरे को भेज देते हैं। इस तरह, एक फर्जी सूचना से हजारों लोग गुमराह हो जाते हैं और कई बार दंगा इतना ज्यादा भड़क जाता है कि हजारों नहीं लाखों लोगों को परेशानी का शिकार होना पड़ता है।
हाल में एक भोजपुरी फिल्म ‘औरत खिलौना नहीं’ चर्चा में है। लेकिन चर्चा का कारण फिल्म का अच्छा, खराब, हिट या फ्लाप होना नहीं है। देश के ज्यादातर लोगों को तो पता भी नहीं कि ऐसी भी कोई फिल्म है। लेकिन एक व्यक्ति ने फिल्म का एक दृश्य सोशल मीडिया पर किसी को भेज दिया। जिसे दूसरे-तीसरे व्यक्ति से होता हुआ हजारों लोगों तक पहुंच गया। इस दृश्य में महाभारत के चीरहरण दृश्य को दोहराते हुए खलनायक नायिका का वस्त्र हरण करता दिखाया गया । लेकिन वीडियो पोस्ट करने वाले ने फिल्म का दृश्य यह लिख कर आगे जारी किया कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है। हालांकि जल्द ही ज्यादातर लोगों को पता चल गया कि फर्जी वीडियो जारी करके लोगों को भड़काया जा रहा था।
इसी तरह, नौ नवंबर 2016 को बांग्लादेश के कुमिल्ला में खुले आम रास्ते पर प्रसिद्ध समाजसेवक और अवामी लीग के सदस्य मुनीर हुसैन सरकार को आतंकवादियों ने पीट-पीट कर मार डाला था। बांग्लादेश में आतंकवादियों की ओर से की जा रही वारदातों के बारे में जानकारी देने के लिए ‘चोला फाउंडेशन आनलाइन ’ ने इसे जारी किया था। लेकिन दंगाई मानसिकता वाले लोगों ने इसे यह बताकर पोस्ट किया कि पश्चिम बंगाल में आतंकवादी निर्दोष लोगों की हत्याएं कर रहे हैं।
फेसबुक पर फर्जी तस्वीरों और वीडियो अपलोड करने के मामले में पुलिस ने कुल मिलाकर अभी तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है। कोलकाता पुलिस आयुक्त की ओर से ट्विटर पर लोगों सेअपील की गई है कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के बारे में पुलिस को 100 नंबर डायल करके सूचित करें। इसके साथ ही लोगों को सचेत रहने की जरुरत है कि आपको मिलने वाला वीडियो प्यार-मोहब्बत या किसी के चेहरे पर खुशी-हंसी लाने वाला हो, तब उसे आगे भेजे। ऐसा कुछ भी भावनाओं में बहकर फारवर्ड न करें कि बाद में आपको पछताना पड़े। पकड़े गए लोगों के खिलाफ पुलिस ने आइपीसी समेत आइटी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के साथ ही मोबाइल, लैपटाप भी जब्त कर लिया है। 

Friday, July 7, 2017

एक ओर दंगों का माहौल, दूसरी ओर अभी भी गलबहियां डालते हैं हिंदू-मुसलमान

एक ओर दंगों का माहौल, दूसरी ओर अभी भी गलबहियां डालते हैं हिंदू-मुसलमान 
रंजीत लुधियानवी
कोलकाता, 6 जुलाई  
उत्तर चौबीस परगना जिले के बादुरिया के इस गांव में अजान होने के बाद कीर्तन होता है। कीर्तन करने वालों की टोली जहां हिंदुओं के घर जाती है, वहीं मुसलमानों की चौखट पर भी जाती है। मस्जिद के सामने भी हरि कीर्तन के बोल गुंज उठते हैं। इस गांव में दुर्गापूजा होती है। पूजा का माइक मस्जिद के सामने बांधा जाता है। पुष्पांजलि के मंत्र मंस्जिद के करीब से चारों ओर गुंजते हैं। गांव में सदियों से हिंदू-मुसलमान रहते हैं। मुसलमान के गरियारे में हिंदुओं की गाय बंधती है। लोगों को पता ही नहीं चलता कि कौन हिंदू है और कौन मुसलमान है। इलाके के लोगों ने कभी यह समझने की कोशिश भी नहीं की कि कौन किस धर्म को मानने वाला है। लेकिन अचानक जैसे स्वर बदल गए हों। 
गांव का नाम मांगुरखाली है। गांव के शौभिक सरकार (18) के फेसबुक पोस्ट के कारण उत्तर चौबीस परगना जिले के बादुरिया, देगंगा, बसीरहाट, स्वरुपनगर समेत आसपासके इलाकों में तनाव फैल गया। हालांकि यह गांव अभी शांत है। युवक के घर कुछ लोगों ने आग लगा दी थी, लेकिन मिलन मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष अमिरुल इस्लाम ने आग पर पानी डाल दिया। गोबरडांगा से दमकल की गाड़ी लेकर मखसूद पहुंचे थे। इससे लगता है कि सारे उन्माद ग्रस्त नहीं हैं। अगर ऐसा होता तो हिंदू के घर की आग बुझाने मुसलमान क्यों परेशान होते? 
अमिरुल भतीजे शबीन रहमान को लेकर हाबरा गए थे, शाम साढ़े छह बजे मोबाइल पर उनके गांव के अध्यापक त्रिदिव चौधरी ने कहा कि अमिरूल चाचा, शौभिक के घर हमला हो रहा है। आग लगाने की कोशिश की जा रही है। तुम जल्द से जल्द यहां पहुंचो। करीब घंटा भर बाद जव वे गांव लौटे, 300 लोगों का एक दल बबलू सरकार के घर हमला करने में लगा था। बबलू शौभिक के पिता का बड़ा भाई है। मां की मौत के बाद ग्यारहवीं का छात्र उनके घर ही रहता है। लकड़ियां जला कर खिड़की से भीतर डाली जा रही थी। पागल भीड़ के सामने हिंदू-मुसलमान कोई नहीं था। 
उस दिन के बारे में बताते हुए कांपती जुबां में अमिरुल बताते हैं कि  कि सैकड़ों अनजान युवक हमला कर रहे थे, विरोध करने पर उल्टे उन्होंने पूछा कि आप कौन होते हैं? मैने बताया कि मैं कौन हूं, लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की औरअपना काम करते रहे। बबलू का मकान जल रहा था। वे दौड़ कर मित्रों को बुला कर लाए। गांव को युवक मखसूद दमकल कर्मचारी है। वह गोबरडांगा से दमकल की गाड़ी लेकर पहुंचा। हिंदू-मुसलमानों ने मिलकर आग बुझाई। 
गांव में रहने वाले करीब दो हजार लोगों को अब भी भरोसा नहीं हो रहा है कि बाहर से आकर लोगों ने एक घर में आग लगा दी। सांप्रदायिक तनाव तो दूर की बात है, मतदान के समय भी गांव के दो बूथों पर कभी मारपीट नहीं हुई। इसलिए दूसरे इलाकों में हिंसा होने के बाद भी यह इलाका शांत ही है। 
मस्जिद की दूसरी ओर शौभिक का घर है। पास में ही मनोरंजन मंडल रहते हैं। वृद्ध मंडल के मुताबिक ईद में सभी लोगों को आमंत्रित किया गया था, सारे लोग गए थे। शौभिक की एक गलती के लिए हमें लज्जित होना पड़ रहा है। उनकी ही तरह श्यामछेल मंडल काकहना है कि वे हमारे मास्टर मोशाए हैं, हम सारे उनके छात्र हैं। इस गांव के सभी लोग पारिवारिक समारोह में एक दूसरे के घर जाते हैं। 
युवा मोहम्मद रियाजुल सरदार ने बताया कि मंगलवार को गांव में पुलिस आई थी। इसके बाद पुलिस नहीं आई क्योंकि हमारे गांव में कोई विवाद नहीं है। बबलू के साथ सिराजुल मंडल एक ही स्कूल में पढ़ते थे। उनका कहना है कि मेरे बचपन के मित्र हैं और शरीफ इंसान हैं। 
गौरी मंडल भी हैरान-परेशान हैं, गांव में पहले कभी हंगामा नहीं देखा था। उनका कहना है कि मसजिद में अजान के बाद हम कीर्तन करते हैं। कभी किसी ने कुछ नहीं कहा। गांव के लोगों का कहान है कि यहां सदियों से सांप्रदायिक सौहार्द कायम है और रहेगा, लेकिन बाहरी लोग कैसे इलाके में घुसे इसे लेकर लोग चिंतित हैं। 
इसी तरह, बादुरिया के मलयपुर में बीते 30 सालों से आसपास रहने वाले सुमेन सेन और अब्दुल बारिक मंडल का कहना है कि किसी भी स्थानीय व्यक्ति को हिंसा करते हुए नहीं देखा गया। हंगामे के दौरान हमलोग जान बचाने के लिए घर से भाग गए,ऐसा नहीं करते तो कोई नहीं बचता।