Sunday, November 20, 2011

गर्मी के कारण बिजली संकट जारी

रविवार सुबह से •ाले ही माहौल में ठंड का असर देखा जा रहा है लेकिन मौमस वि•ााग का कहना है कि अ•ाी ठंड के आने की प्रतीक्षा करनी होगी। इसके कारण जिलेके वि•िान्न इलाकों में लोडशेडिंग का असर •ाी देखा जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अक्तूबर से राज्य में मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है। इससे बिजली की खपत कम होने लगती है। लेकिन इस साल शुरू के कुछ दिनों को छोड़ कर मौसम के रुख में ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ। इससे लोगों के घरों में अ•ाी •ाी पंखे चल रहे हैं। इसी तरह दफ्तरों में एसी और पंखों केकारण बिजली की खपत में कमी नहीं हुई है।
राज्य के तटवर्ती इलाकों में मानसून की हवाओं का असर देखा जा रहा है। निम्न दबाव बनने की सं•ाावना •ाी प्रकट की जा रही है। जिससे मौसम वि•ााग का कहना है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ेगी। मौसमी हवाओं के रुख बदलने केकारण ही ठंड के आगमन में देरी हो रही है। अक्तूबर के दूसरे हफ्ते में बारिश ने राज्य के विदाई ली थी। लेकिन एक महीने बाद •ाी लोग गर्मी से परेशान है। इसके कारण कई तरह की बीमरियां •ाी फैल रही हैं। डाक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि •ोजन पर नियंत्रण करें और बाहर का खाना कम से कम खाएं।
खतरे के बावजूद नहीं अपनाते सुरक्षित तरीके
हावड़ा , 20 नवंबर (जनस त्ता)। राज्य के ज्यादातर घरों में दो वक्त गैस पर खाना पकाया जाता है लेकिन सुरक्षा नियमों की परवाह शायद ही कोई करता है। इसलिए हादसे •ाी होते रहते हैं। एक ताजासमीक्षा में पता चला है कि मुश्किल से 10 फीसद ग्राहक ही सुरक्षा की परवाह करते हैं।
मालूम हो कि ज्यादातर लोगों को इस बात का पता ही नहीं है कि रसोई में किसी तरह का हादसा नहीं हो, इसके लिए क्या किया जाना चाहिए। 1988 में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से एक कानून पारित किया गया था। इसके मुताबिक दो साल में कम से कम एक बार गैस डीलर ग्राहकों के घर कर्मचारी •ोज कर यह तय करें कि कहीं कोई समस्या तो नहीं है। किसी तरह की जरुरत होने पर ग्राहक को बताया जाए कि उसे क्या करना है। लेकिन आवश्यक निरीक्षण क•ाी •ाी ठीक से नहीं किया गया। जबकि कई जगह इसके लिए ग्राहकों से दो साल में एक बार 70 रुपए वसूले •ाी जा रहे हैं।
हालांकि कुछ डीलरों ने हाल की सख्ती के बाद ग्राहकों के घरों के रसोई घर की जांच शुरू कर दी है। ऐसे ही एक डीलर का कहना है कि उ त्तर चौबीस परगना जिले में दो जगह कुल मिलाकर 4700 घरों की जांच की गई। लेकिन इस दौरान 90 फीसद ग्राहकों के घरों में देखा गया कि वे लोग सुरक्षा नियम की अनदेखी कर रहे थे। इस दौरान पाया गया कि कई जगह ओवन और सिलेंडरके बीच सुरक्षा पाइप ही नहीं है। इसके •ाीतर ताल की जाली होती है जिससे प्रयास के बाद •ाी पाइप काटा नहीं जा सकता। इसके बजाए ग्राहक बाजार से सस्ता पाइप लगाते हैं, इससे क•ाी •ाी हादसा हो सकता है। सफेद और हरे पाइप लगाने वाली एक ग्राहक ने बताया •ाी कि पाइप बीच-बीच में गल जाता है। गैस लीक करता है कि नहीं, नया सिलेंडर आते ही उसे ओवन के साथ लगाकर देखना चाहिए। समीक्षा से पता चला है कि 90 फीसद ग्राहक ही यह काम नहीं करते। एक ग्राहक के मुताबिक क•ाी परेशानी नहीं हुई, इसलिए ऐसा करनेकी जरुरत ही महसूस नहीं हुई। इतना ही नहीं समीक्षा के दौरान पता चला कि 70 फीसद ग्राहक ही सोनेसे पहले रेगुलेटर बंद नहीं करते। ग्राहकों का कहना है कि बार-बार बंद करने के कारण रेगुलेटर खराब हो सकता है।
हालांकि कई ग्राहकों का कहना है कि ताजा समीक्षा के दौरान कुछ लोग दो मिनट के लिए गैस उलट-पलट कर देखने के बाद चले जाते हैं। इसके कैसे पता चलेगा कि क्या गलती है। जबकि नियमानुसार जांच करने पर एक घर में कम से कम आधा घंटा तो लग ही जाता है। हालांकि एक डीलर का कहना है कि कहने के बाद •ाी 80 फीसद ग्राहक जांच के लिए तैयार नहीं है। कई ग्राहकों का कहना है कि किसी तरह की समस्या होने पर उसका समाधान करवा लेते हैं, तब ऐसे में 70 रुपए देने का क्या औचित्य है?

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