कोलकाता में पहली बार 24 फरवरी 1873 को सियालदह स्टेशन से आर्मेनियन स्ट्रीट तक ट्राम चलाई गई थी. तब इसे घोड़े खींचा करते थे फिर बीच में चार साल बंद रहने के बाद वर्ष 1880 में यह सेवा दोबारा शुरू की गई. इस दौरान स्टीम इंजन से ट्राम चलाने का असफल प्रयास भी किया गया और अंत में 27 मार्च 1902 को बिजली से ट्राम चलाने में कामयाबी मिली. कोलकाता में चलने वाली ट्रामों में दो डिब्बे होते हैं.
अंग्रेजों ने साल 1900 में इसमें एक और डिब्बा जोड़ दिया था तब अगला डिब्बा प्रथम श्रेणी का कर दिया गया और पिछला डिब्बा द्वितीय श्रेणी का. पिछले डिब्बे का किराया पहले डिब्बे से कम था. नगर में 1930 के दशक में 300 से ज्यादा ट्रामें चलती थीं. उस समय यही महानगर की प्रमुख सार्वजनिक सवारी थी अब सड़कों के प्रसार व वाहनों की तादाद बढ़ने के साथ इनका रूट सिकुड़ गया है लेकिन ये अब भी सड़कों पर बिछी पटरियों पर ही चलती हैं. इस समय कोलकाता ट्रामवेज कॉरपोरेशन यानि सीटीसी के पास 272 ट्रामें हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 125 ट्रामें ही सड़कों पर उतरती हैं.
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