Wednesday, May 9, 2012

आर्थिक संकट में ममता ने इफ्तार में खर्च किए 41 लाख रुपए



 आर्थिक संकट के कारण कई आवश्यक खर्चों में कटौती की जा रही है। लेकिन ऐसे दौर में भी कोलकाता नगर निगम की ओर से खानपान में ही लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। एक ओर विकास के कार्यो पर पाबंदी तो दूसरी ओर मेयर परिषद के सदस्यों की बैठक में ही कभी 34 हजार रुपए तो कभी 26 हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि यह सारा खर्च 15-20 लोगों के खानपान पर ही खर्च किया जा रहा है। इस बारे में नगर निगम के वित्त विभाग की ओर से जांच की गई। पता चला है कि डिप्टी मेयर समेत मेयर परिषद के दफ्तरों में कुल मिलाकर 20 लोग रहते हैं। जबकि यहां होने वाली बैठक के दौरान 80 से लेकर 90 पैकेट भोजन आता है। इस पर अतिरिक्त 20-25 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। इतना ही नहीं निगम के दूसरे आयोजनों में भी खानपान पर भारी खर्च हो रहा है।
मालूम हो कि कोलकाता नगर निगम में परिवर्तन के बाद तृणमूल कांग्रेस ने 2010 में सत्ता संभाली थी। तब से लेकर अप्रैल 2012 तक मेयर परिषद की 32 बैठकें हुई है। हिसाब के मुताबिक महज खानपान के लिए ही इन बैठकों पर छह लाख रुपए की रकम खर्च हुई है। इस बारे में एक पार्षद ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मेयर परिषद की बैठक हर हफ्ते होनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता तो निगम का कबाड़ा हो जाता। यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि हर बार 60 से 70 लोगों के लिए खाना क्यों मंगवाया जा रहा था।
कोलकाता नगर निगम के पूर्व तृणमूल कांग्रेस के मेयर सुब्रत मुखर्जी भी खर्च के बारे में सुनकर हैरान हैं। उनका कहना है कि हमारे समय में मेयर परिषद की बैठक में मुश्किल से एक हजार रुपए से लेकर 1200 रुपए तक खर्च होते थे। इसका कारण यह था कि ज्यादा से ज्यादा 15 लोग ही बैठक में उपस्थित रहते थे।
नगर निगम सूत्रों का कहना है कि आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त 2011 में ही विभिन्न सभा, समागम में 50 लाख रुपए खर्च किए गए थे। जबकि इसमें से ज्यादातर खर्चे निगम को खर्च ही नहीं किए जाने थे। इसमें सबसे पहले पार्क सर्कस इलाके में इफ्तार पार्टी शामिल है। यह आयोजन 12 अगस्त को किया गया था। इसके लिए निगम की ओर से 41 लाख रुपए खर्च किए गए थे। निगम ने इफ्तार पार्टी के लिए 7400 लोगों के लिए एक रेस्टोरेंट से खाने के पैकेट मंगलाए थे। एक पैकेट की कीमत 285 रुपए थी। कर और पैकेट आपूर्ति में कुल मिलाकर 23 लाख रुपए खर्च हुए जबकि मंच और लाइटिंग में 18 लाख रुपए खर्च किए गए।
इसी तरह महानगर की विभिन्न पूजा कमेटियों के अधिकारियों को लेकर की गई एक बैठक की भी चर्चा है। 17 अगस्त को यह बैठक पूजा से पहले हुई थी। लगभग पांच हजार लोगों के लिए नाश्ते में सवा दो लाख रुपए और मंच के खर्चे मिलाकर लगभग पांच लाख की राशि खर्च की गई थी। इसके बाद दो मई 2012 में टाउन हाल में नगर निगम की ओर से चार दिवसीय रवींद्र जयंती का आयोजन किया गया था। इस मौके पर कुल मिलाकर 15 लाख 70 हजार रुपए खर्च किए गए।
नगर निगम अभी तक महानगर में सभी लोगों तक शुद्ध पेय जल पहुंचाने में सफल नहीं हो सका है। अभी गर्मी का प्रकोप शुरू ही हुआ है कि कई जगह जल संकट देखा जा रहा है। बस्ती विकास का काम भी ठप पड़ा है। रास्तों की मरम्मत भी नहीं हो रही है। सूत्रों का कहना है कि आर्थिक संकट के कारणऐसा हो रहा है। कई जगह निकासी काकाम भी रुका हुआ है। हालांकि नगर निगम का कोई अधिकारी इस बारे में कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है कि जब आवश्यक काम रुके पड़े हैं ऐसे में गीत-संगीत और खानपान पर खर्च किया जाना कितना जरूरी है।

No comments:

Post a Comment