Sunday, June 30, 2019

आठ साल में ममता ने 150 मंदिरों के लिए खर्च किए 350 करोड़



ममता बनर्जी सरकार पर लंबे समय से मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया जाता रहा है। इस आरोप में मुख्य तौर से यह कहा जाता है कि हिंदुओं के मुकाबले वे मुसलमानों के धार्मिक स्थान की देखभाल, उनके धार्मिक कार्यक्रमों में ज्यादा शामिल होती हैं। विरोधी दलों की ओर से बार-बार यह आरोप लगाया जाता है कि मुस्लिम वोट बैंक पक्का करने के लिए वे  ऐसा कर रही हैं। खास तौर से बीते कुछ सालों से इस तरह के आरोप ज्यादा जोरशोर से लगाए जा रहे हैं। लेकिन आंकड़ों की  अगर बात करें तब पता यह चलता है कि तृणमूल कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान पिछले आठसालों में राज्य सरकार ने हिंदू मंदिरों की मरम्मत और तीर्थस्थानों के विकास के लिए करीब 350 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को शुरू किया है। इसमें केंद्र सरकार की ओर से छह करोड़ रुपए की रकम प्रदान की गई है। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के सूचना व संस्कृति विभाग ने खुद राज्य के विभिन्न विभागों से इस बारे में आंकड़े इकट्ठा किए हैं। राज्य विधानसभा के मौजूदा अधिवेशन में तृणमूल कांग्रेस के विधायक मानस मजूमदार के  एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री के विभाग ने लिखित तौर पर यह जानकारी दी है। हालांकि समय की कमी के कारण इस बारे में विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकी।
राज्य के सूचना व संस्कृति विभाग की ओर से विधानसभा में जानकारी दी गई है कि बंगाल के प्राचीन और एतिहासिक मंदिर व संलग्न तीर्थस्थानों की देखभाल व सामग्रिक ढांचागत विकास के लिए बीते कुछ सालों में खुद के बजट से कम से कम 157 परियोजनाएं अपने हाथों में ली हैं। इन परियोजनाओं पर कुल मिलाकर खर्च 347 करोड़ 48 लाख रुपए होगा। इसमें सात परियोजनाओं के लिए बीते पांचसाल में केंद्र सरकार से 5 करोड़ 96 लाख रुपए मिले हैं। जलपाईगुड़ी के जलपेश व जटिलेश्वर मंदिर के विकास के लिए तेरहवें वित्त आयोग के अनुदान से यह रकम मिली है। इसके अलावा पूर्व मेदिनीपुर के डीही बाहिरी के जगन्नाथ मंदिर,पूर्व बर्दमान के मानकड़ के कई मंदिरों, बीरभूम के नानूर के शिव मंदिर, बांकुड़ा के कोतुलपुर के दामोदर मंदिर, हुगली जिले के गुड़प के नंददुलाल मंदिर और उस जिले के बाक्सा के 12 शिव मंदिरों के विकास के लिए केंद्र की रकम को खर्च किया गया है या खर्च के लिए शामिल किया गया है।
सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सात मंदिरों को छोड़ कर बाकी सभी 150 मंदिरों के विकास में सारा खर्च राज्य सरकार की ओर से किया जा रहा है। विभिन्न सरकारी महकमों, स्थानीय नगरपालिका और पंचायतों, जिला परिषद व विकास परिषदों के माध्यम से यह रकम खर्च की गई है या की जा रही है। कोलकाता के कालीघाट और दक्षिणेश्वर, हुगली के तारकेश्वर, गंगासागर के कपिलमुनि मंदिर, बीरभूम के तारापीठ और कंकालीतला और जलपाईगुड़ी के देवी चौधरानी जैसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिर  और तीर्थ स्थान इस सूची में शामिल हैं।