Wednesday, August 23, 2017

देश बचाने के लिए एकजुट होने की जरुरत:कन्हैया

देश बचाने के लिए एकजुट होने की जरुरत:कन्हैया




कोलकाता, 23 अगस्त  
जेएनयु नेता कन्हैया कुमार ने आज प्रधानमंत्री की ओर से मन की बात करने से लेकर देश में एक समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार करके देश की एकता और अखंडता को भंग करने के साथ ही पश्चिम बंगाल में बाढ़ के मुद्दे पर केंद्र और उनके सहयोगी दलों की चुप्पी, सैनिकों की ओर से की जा रही आत्महत्या समेत अनेक मुद्दों को उठाते हुए कहा कि लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने के लिए तरह-तरह की बातें की जा रही हैं, लेकिन लोगों को चाहिए कि अगर देश को बचाना है तो वे एकजुट हो जाएं। आल इंडिया यूथ फेडरेशन (एआइवाइएफ) और आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआइइएसएफ) की ओर से देश व्यापी 60 दिवसीय लांग मार्च के दौरान उत्तर चौबीस जिले के डनलप में भगत सिंह चौक पर उनका भव्य स्वागत किया गया। करीब तय समय से ढाई घंटे देरी से पहुंचे छात्र नेता को सुनने के लिए भारी संख्या में सुबहसे ही लोग मौजूद थे। लोगों की इतनी भीड़ थी कि श्यामबाजार से लेकर बैरकपुर तक ट्रैफिक सेवा अस्त-व्यस्त हो गई। 
उन्होंने विरोधियों से कहा कि मेरा मुंह काला करने या विरोध करने की स्वतंत्रता इसलिए है कि देश में लोकतंत्र कायम है, लेकिन इससे लोगों का ध्यान भटकाने की कवायद ठीक नहीं है। देश में गरीबी, भूखमरी,बेरोजगारी, आतंकवाद समेत कई समस्याएं हैं। भाजपा नेता एक लड़की को छेड़ता है, दो समुदाय के लोगों का मेलमिलाप देख कर ऐसे लोगों को दिक्कत होती है क्योंकि उनकी राजनीति जमती नहीं है। बंगाल में धर्म के नाम पर लोगों में फूट डाली जा रही है, जबकि बांग्लादेश नामक देश का गठन धर्म के आधार पर नहीं भाषा के आधार पर हुआ था। कम्युनिस्टों के शासन में किसानों पर गोली चलने की घटना को गलत मानते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था, इसके लिए हम माफी मांगते हैं। लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार ए क समुदाय के लोगों को निशाना बना रही है। एक समुदाय को डराया, धमकाया जा रहा है। लोगों को सवाल पूछने चाहिए, लड़ना चाहिए। ऐसा करने पर कई तरह से परेशान किया जा सकता है, लेकिन इसके घबड़ाने की बजाए एकजुट होने की जरुरत है। 
उन्होंने कहा कि कोलकाता में एक पत्रकार ने पूछा कि आप तृणमूल कांग्रेस के विरोध में क्यों नहीं बोलते? मैने उनसे सवाल किया कि क्या वजह है कि तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बोला जाए? उनका कहना था कि बंगाल में मार्क्सवादियों के साथ तृणमूल का विरोध है,इसलिए माकपा को बचाने के लिए तृणमूल का विरोध करना चाहिए। ऐसे लोगों से मेरा कहना है कि मैं मार्च के जरिए माकपा को बचाने के लिए नहीं, देश बचानेके लिए निकला हूं। माकपा का आजादी के आंदोलन में अपना इतिहास रहा है, देश में अगर जमहूरियत कायम रहेगी, राजनीतिक दल भी बचे रहेंगे। 
उन्होंने कहा कि देश से प्यार करने का मतलब देश के लोगों से प्यार करना है। लेकिन जब देश में दलित, अल्पसंख्यक, हिंदू असुरक्षित हैं, लोगों में भेदभाव कायम है किसे देश प्रेम कहा जा सकता है। बंगाल में लाखों लोग बाढ़ की चपेट में हैं, लेकिन वहां के हिंदुओं की दशा न तो केंद्र सरकार न उनके चाहने वालों को दिख रही है। प्रधानमंत्री मन की बात करते हैं,लेकिन मैं जन की बात करता हूं। 
उन्होंने कहा कि बंगाल पुनर्जागरण की धरती रही है, यहां से आवाज उठनी चाहिए कि बंगाल का एक बंटवारा हो चुका है और दोबारा हम बंटवारा होने नहीं देंगे। गरीबी,महंगाई, भूखमरी, सांप्रदायिकता से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश को कामयाब नहीं होने दें। तीन तलाक पर अदालत के फैसले से खुश होने वालों को अब अदालत पर भरोसा करना सीख लेना चाहिए। दूसरे मुद्दों को भी अदालत पर छोड़ दें।